AGARICUS MUSCARIUS Uses, Benefits and Side Effects In Hindi

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एगैरिकस मस्केरियस (Agaricus Muscarius)

(टौडस्टूल-बग एगैरिक)

इस छत्रकाकार पदार्थ में कई तरह के विषाक्त योग होते हैं । जिनमें से मसकैरिन प्रसिद्ध है । इसके विष का असर तुरन्त नहीं होता । साधारणतः 12-14 घण्टों के बाद आरम्भिक आक्रमण होता है । इस विष का कोई शामक नहीं है, इलाज केवल लक्षणों पर निर्भर करता है । (श्नीडर) एगैरिकस मस्तिष्क में नशा लाने का काम करता है जो कि एल्कोहल से भी अधिक चक्कर और प्रलाप पैदा करता है । इसके बाद गहरी गशी आती है और साथ में स्नायु की परावर्तित क्रिया मन्द पड़ जाती है ।

झटका, फड़कन, कम्प और खुजली इस विष के स्पष्ट लक्षण हैं । आरम्भिक क्षय रोग, इसका सम्बन्ध क्षय से है, रक्तहीनता, तांडव रोग जो सोते में बन्द हो जाता है । इस पदार्थ में रक्त संचित होने की अपेक्षा कई तरह के दिमागी शोथ पाये जाते हैं । जैसे सन्निपात, मदपान के रोग इत्यादि । सर्वांग लकवा । संवेदन मानो बरफ जैसी ठंडी सूइयाँ चुभोई जा रही हैं । दाब और ठंडी हवा असह्य । नीचे की ओर चलने वाला तेज दर्द । इसके लक्षण आड़े तिरछे प्रकट होते हैं जैसे दाहिनी बाँह और दाहिनी टाँग में । पीड़ा के साथ ठंडक, ठिठुरन और चुनचुनाहट का संवेदन होता है ।

मन — गाता है, बातचीत करता है मगर सवाल का जवाब नहीं देता । अधिक बकवास करना, काम करने से घृणा, लापरवाही, निडर, सन्निपात में गाने, चिल्लाने, बड़बड़ाने, कवितामयी भविष्यवाणी, परीक्षणों के समय मस्तिष्क-उत्तेजना के चार चरण स्पष्ट होते हैं :

  1. थोड़ी उत्तेजना — प्रफुल्लता की वृद्धि, साहस, बकवादीपन, कल्पना की उड़ान ।
  2. अधिक गहरा नशा — मानसिक उत्तेजना अधिक हो और समझ में न आने वाली बातें करना, असाधारण प्रसन्नता और खिन्नता बारी-बारी से आये । वस्तुओं के पारस्परिक माप का ज्ञान लोप हो जाये, लम्बे कदम भरे और छोटी चीजों को कूद कर पार करना, मानो वे पेड़ के मोटे तने हों, छोटा सुराख भी बड़ा और भयानक गड्ढा मालूम पड़ना, एक चम्मच पानी भी झील-सा लगना । शारीरिक शक्ति बढ़ जाये, भारी वजन भी उठा सकता है, साथ में अंग फड़कना ।
  3. तीसरा चरण — भयानक प्रलाप, चीखना-चिल्लाना, अपने को हानि पहुँचाना चाहता है इत्यादि ।
  4. चौथा चरण — मानसिक मन्दता, सुस्ती, लापरवाही, विचार शक्ति छिन्नता, काम से घृणा इत्यादि । इसमें बेलाडोना का तीव्र मस्तिष्क प्रदाह नहीं पाते, लेकिन केवल साधारण स्नायु में उत्तेजना आती है, जैसा कि मदपान, सन्निपात में पायी जाती है या ज्वर के साथ सन्निपात इत्यादि में ।

सिर — सूरज की रोशनी से और टहलने से चक्कर आये । सिर लगातार हिलता रहे । पीछे गिरना मानो पिछले भाग में बोझ भरा हुआ है । आर-पार दर्द, कील गढ़ने जैसा (कॉफिया, इग्नेशिया) मन्द सिर दर्द जो देर तक डेस्क पर काम करने से आये । बरफ जैसी ठंडक जैसे बरफ की सूइयाँ चुभ रही हों या खपच्ची गढ़ रही हों । बरफ जैसी ठंडक के साथ स्नायुशूल, सिर को गरम कपड़े से लपेटना चाहे (सिलिका) । नकसीर या गाढ़ी श्लेष्मा स्राव के साथ सिरदर्द ।

आँखें — पढ़ना कठिन मानो अक्षर चलते-फिरते हों या तैरते हों । दोहरी चीज देखना (जेल्सी), नजर धुंधली । देर तक नजर से काम लेने के बाद पेशियों में झटके आना । ढेले और पलकों में फड़कन (कोडीन) । किनारे लाल, खाज, जलन और चिकन । भीतरी कान गहरे लाल ।

कान — जलन और खाज मानो ठिठुर गये हों । कानों के आस-पास की पेशियों में फड़कन और आवाज सुनाई देना ।

नाक — नाक के स्नायविक रोग, खाज भीतर और बाहर । खाँसने के बाद तशन्नुजी छींकें असहिष्णुता, पनीला, सादा स्राव । भीतर कान में बहुत लाल । दूषित, गहरा, खूनी स्राव । वृद्ध लोगों की नकसीर । नाक और मुँह में छरछराहट ।

चेहरा — चेहरे की पेशियाँ तनी हुई जान पड़ें, फड़कें, खाज और जलन । गालों में खपच्ची चुभने जैसी कोंचन और फटन के साथ दर्द । स्नायुशूल मानो ठण्डी सूइयाँ स्नायु में चुभाई जा रही हों या बरफ के नोकीले टुकड़े उनको छू रहे हों ।

मुँह — होठों पर तीव्र वेदना और जलन । होठों पर दाद, फड़कन, मीठा स्वाद । तालु पर चकत्ते । जीभ में खपच्ची जैसी गढ़न । हर समय प्यास । काँपती जुबान (लैके.) । सफेद जुबान ।

गला — कर्णनलिका में कान तक चिलक । संकुचित मालूम पड़े । छोटे, ठोस गोले ऊपर आवें । गलकोष खाँसने से सूखा, निगलना कठिन । गले में खुरखुराहट, एक स्वर न गा सके ।

आमाशय — खाली उद्गार, सेब का स्वाद । स्नायविक गड़बड़ी, आक्षेप के साथ हिचकी । अप्राकृतिक भूख । अफारा, निर्गन्ध हवा अधिक खुले । भोजन के करीब तीन घण्टे बाद जलन जो धीमे-धीमे दाब में 2 हल जाये । आमाशय में गड़बड़ी, जिगर प्रदेश में तेज दर्द के साथ ।

उदर — प्लीहा (सीयानोथस), जिगर में गढ़न के साथ दर्द । बायीं तरफ की छोटी पसलियों में चिलक । अधिक दूषित वायु स्खलन के साथ अतिसार, बदबूदार मल ।

पेशाब — मूत्र मार्ग में कड़कपन । एकाएक तेजी से पेशाब लगे । घड़ी-घड़ी पेशाब हो ।

स्त्री — अतिरजः, समय के पहले कामेन्द्रिय और पीठ में खाज, फटन और दाब के साथ दर्द । आक्षेपिक कष्टरजः । तेज दर्द जो नीचे चले । खासकर रजोनिवृत्ति के बाद कामोत्तेजना । स्तन घुण्डियाँ खुजलायें, जलें । प्रसव और मैथुन के बाद आये कष्ट । बहुत खाज के साथ प्रदर स्राव ।

श्वास-इन्द्रियाँ — खाँसी के कड़े हमले जो इच्छा शक्ति से रोके जा सकें, खाने से बढ़े, खाँसने के साथ-साथ सिर में दर्द हो । रात के समय सो जाने के बाद तशन्नुजी खाँसी साथ में श्लेष्मा की छोटी गोलियाँ निकलें । रुका हुआ कठिन श्वास खाँसी छींक में खत्म हो ।

दिल — चाल आकस्मिक, कोलाहलमयी धड़कन, तम्बाकू सेवन के बाद बढ़े । नाड़ी सविराम और क्रमिक । दिल संकुचित मानो वक्षोदर तंग हो गया हो । चेहरे की लाली के साथ धड़कन ।

पीठ — छूने से मेरुदंड में दर्द, कटि भाग में अधिक । कटिवात, खुली हवा में बढ़े । पीठ में कड़क । गर्दन की पेशियों में फड़कन ।

अंग — कड़े, चूतड़ पर दर्द, वात रोग हरकत से कम । कटि भाग में कमजोरी । चाल अनिश्चित, कम्प । पैर और अंगुलियों में खाज मानी ठिठुर गयी हों । पैर के तलवों में ऐंठन । पिण्डली की लम्बी हड्डी में दर्द । स्तम्भ और स्नायुशूल । निचले अंगों में लकवा, बाहों में खींचन के साथ दर्द । टाँगों का एक पर एक रहने से सुन्न होना, बायीं बाँह में लकवा-दर्द, बाद में धड़कन । पिण्डली में फाड़ने की तरह का दर्द ।

चर्म — जलन, खाज, लाली, सूजन, मानो पाला मार गया हो । कड़े दाने मक्खी काटने जैसे । असह्य पीड़ा और जलन के साथ घमौरी, बिवाई फटना ।

हृदय — स्नायु सम्बन्धी शोथ, लाल चकत्ते । ठंडा चर्म और शिरायें उभरी हुई । गोल, लाल चकत्ते । रसदार और बिना रस के साथ ।

नींद — जम्हाई लेने का तशन्नुजी हमला । तेज खाज और जलन से बेचैनी । सो जाने पर चिहुँकता से काँप उठता है और अक्सर जाग जाता है । स्पष्ट स्वप्न, दिन में ऊँघना, जम्हाई आना और बाद में अनिश्चित हँसी ।

ज्वर — ठंडी हवा असह्य, शाम को गरमी के तीव्र हमले, पसीना अधिक । जलने वाले चकते ।

घटना-बढ़ना — खुली ठंडी हवा खाने के बाद और मैथुन के बाद । ठण्डे मौसम में, बिजली-तूफान के पहले । रीढ़ के मोहरों पर दाब पड़ने से अनायास हँसी आये ।

घटना — धीरे-धीरे इधर-उधर टहलना ।

सम्बन्ध-तुलना कीजिए — मस्केराइन, ऐगैरिकस का क्षारोद (स्राव का अधिक शक्तिशाली है, नेत्रजल स्राव, जिगर स्राव इत्यादि को बढ़ाता है, लेकिन गुर्दों को कम करता है । सम्भवतः स्नायविक प्रभाव के कारण, इन सब यन्त्रों के स्राव सम्बन्धी स्नायुसंधि के रेशों को उत्तेजित करता है, इसी कारण से लार बहना आँखों से आँसू बहना और अधिक पसीना होना पाया जाता है । एट्रोपिन, मसकेराइन का ठीक उल्टा है । पिलोकार्पिन की तरह काम करता है । एमानिटा वरनस स्प्रिंग मशरूम एक प्रकार का एगर फैलायड्सडेथ-कप कार्यवाही तत्व फैलिन है, मस्केरीन की तरह तेज है । एमानिटा फैलायड्स (डेथकप-डेडली एगैरिक) यह जहर अल्ब्यूमेन को विषाक्त बनाता है । यह जहर साँप के जहर जैसा, हैजे तथा डिफ्थीरिया के कीटाणुओं के जहर से मिलता-जुलता है । यह रक्त के लाल कणों पर काम करता है और उनको घोल देता है । इसी से रक्त पाचन नलिकाओं के रास्ते से निकलने लगता है और सारे शरीर का रक्त बाहर निकल जाता है । इस विष की मात्रा कम होती है और इसका बुरा असर कुछ लोगों पर केवल इसके प्रयोग वाले नमूनों को छूने ही से या रेणुओं के साँस लेने ही से पड़ जाता है । यह विष धीरे-धीरे असर करता है । विष के प्रवेश के समय से 12-20 घण्टे तक कोई बुरा प्रभाव प्रतीत नहीं होता लेकिन दूसरे या तीसरे दिन गशी और झटके आने लगते हैं और फिर चक्कर के साथ तेज हैजे के लक्षण दुर्बलता के साथ शुरू होते हैं और मृत्यु हो जाती है । मृत्यु होने से पहले रोगी को ऊँघ, गफलत और आक्षेप आते हैं । जिगर, दिल और गुर्दों पर चबी आ जाती है, फुफ्फुस और उनकी थैली से और चर्म से रक्तस्राव, होने लगता है । कै और अतिसार, लगातार मल — त्यागने की इच्छा बिना पाकाशय, उदर या गुद दर्द के । ठण्डे पानी की प्रबल प्यास, सूखा चर्म । सुस्त मगर दिमागी तौर पर स्वस्थ । धीरे से तेज और तेज से धीरे साँस लेने का तीव्र परिवर्तन । घोर पतनावस्था, पेशाब दबना । (लेकिन बिना हाथ-पैर ठंडे हुए या ऐंठन के । ) एगैरिक एमेट (तीव्र चक्कर व ठंडे पानी के सभी लक्षण कम हों । ) बरफ के ठंडे पानी की प्रबल इच्छा, आमाशय वेदना, ठंडा पसीना, कै मालूम हो मानो आमाशय धागे के सहारे लटक रहा हो । ) टैमस (बिवाई फटना और चकत्ते) । सिमिसि, कैन इण्डि, हायोसिस, टैरेन. ।

विषनाशक — एबसिंथि, कॉफि, कैम्फर

मात्रा — 3 से 30 शक्ति और 200 । चर्म रोग और मस्तिष्क विकार में नीचे की शक्ति दीजिये ।

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