Anahata Chakra Method and Benefits In Hindi

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अनाहत चक्र

यह चक्र हृदय चक्र भी कहलाता है और इसका स्थान हृदय-प्रदेश में ही है। यह बारह दल से युक्त नील वर्ण (बंधुक पुष्प) का चमकदार पद्म है। जिसके प्रत्येक दल में कं, खं, गं, घ, ङ चं, छ, ज, झ, ञ, दें और ठं अक्षर लिखे हुए हैं। इसके मध्य में षट्कोणाकृति (दो त्रिभुज एक-दूसरे के विपरीत अवस्था में) है जिसका धूम्र वर्ण का वायुमंडल है। इसका बीजमंत्र यं है। जो कि वायु बीज को इंगित करता है। यह काले मृग (हिरण) पर स्थित है। वायु बीज के बिंदु के मध्य त्रिनेत्री ईशा हँस के समान हैं। जिनके दो हाथ वरदान और अभय मुद्रा प्रदान करते हुए हैं। एवं इसकी देवी काकिनी है जो कि स्वर्ण वर्ण की चतुर्भुजी है। त्रिकोण के मध्य बाण लिंग है। जिसके सिर पर अर्द्धचंद्र और बिंदु है। इसके नीचे दीपक की लौ जैसा हँस के समान जीवात्मा है।
इस चक्र का सम्बंध वक्षःस्थल, हृदय, रक्तवाहिनियाँ एवं श्वसन-संस्थान से है। चक्र के विकार ग्रस्त होने से हृदय रोग, श्वास की बीमारी (दमा) , मानसिक व्याधियाँ आदि हो सकती हैं। इस चक्र के जागृत होने पर उपरोक्त व्याधियों में लाभ प्राप्त होता है। आध्यात्मिक लाभ के रूप में दया, करुणा, क्षमा, विवेक व आत्मिक आनंद आदि की शक्ति प्राप्त होती है।

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