Atta Chakki Chalane ki Kriya Method and Benefits In Hindi

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आटा चक्की चलाने की क्रिया

अभ्यासक्रम: 1

सामने की तरफ़ सीधे पैर करके बैठ जाएँ। हाथों को सीधे सामने की ओर तानते हुए पंजों को एक-दूसरे में फँसा लें। मन ही मन सोचें कि अब हम चक्की चला रहे हैं। इस प्रकार कमर और कमर के ऊपरी भाग को चारों तरफ़ चलाते हुए घेरा बनाएँ। जितना आगे-पीछे झुक सकते हैं उतना आगे-पीछे झुकें। अब यही क्रिया उल्टी तरफ़ से करें; पहले दाएँ से बाएँ फिर बाएँ से दाएँ 10 से 15 बार करें।
श्वासक्रम: पीछे की तरफ़ जाते समय श्वास लें एवं आगे की तरफ़ झुकते समय श्वास छोड़े।

अभ्यासक्रम: 2

सामने की तरफ़ पैर फैलाकर बैठ जाएँ। अब दोनों पैरों को फैलाकर दूर-दूर कर लें और यह सोचें कि आपके ठीक सामने पैरों के बीच आटा चक्की रखी है। बस बाक़ी क्रिया पूर्वानुसार है।

अभ्यासक्रम: 3

तीसरी प्र क्रिया भी उपरोक्तानुसार ही है। इसमें आपको सिर्फ सुखासन में बैठना है और कल्पना करना है। कि आपके सामने चक्की रखी है। और आप चक्की चला रहे हैं। पहले दाएँ से बाएँ, फिर बाएँ से दाएँ 10-15 बार यही क्रम दोहराएँ।

लाभ

  • सभी वर्ग के लिए यह लाभकारी है। इससे उदर-प्रदेश के अंदरूनी तंत्र की मालिश हो जाती है।
  • शौच की कठिनाई में लाभ होता है।
  • कमर दर्द से राहत मिलती है।
  • मासिक धर्म की अनियमितताओं को दूर करता है।
  • मोटापे को दूर करता है।

नोट

पुराने समय में हर घर पर हाथ से अनाज पीसने के लिए पत्थर की बनी हुई आटा चक्की हुआ करती थी। महिला या पुरुष वर्ग प्रतिदिन गेहूँ वगैरह पीसकर अनचाहे ही यह व्यायाम कर लाभान्वित हो जाते थे। किंतु अब यह सब-कुछ संभव न हो पाने के कारण हम सिर्फ यह क्रिया व्यायाम स्वरूप कर उसके लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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