BALSAMUM PERUVIANUM Homeopathy Use and Side Effects In Hindi

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बैलसेमम पेरुवियेनम (Balsamum Peruvianum)

(पेरुवियन बालसैम फ्राम माइरोक्सिलोन पेरियरी)

वायुनलिका के नजले में लाभदायक है, जबकि बलगम अधिक और पीब जैसा निकले । कमजोरी, यक्ष्मा (टी.बी.) ज्वर ।

नाक — मात्रा में अधिक, गाढ़ा स्राव । अकौता, घाव के साथ । जीर्ण, पीब जैसा नाक का नजला ।

पेट — भोजन और श्लेष्मा की कै । आमाशय का नजला ।

सीना — वायुनलिका समूह प्रदाह (ब्रोंकाइटिस) और क्षय रोग जिसमें गाढ़ा, क्रीम जैसे रंग का बलगम अधिक निकले । सीने में तेज खड़खड़ाहट (काली सल्फ, एण्टिम टार्ट) तर खाँसी । क्षय ज्वर और रात पसीना साथ में क्षोभ जनक खाँसी और थोड़ा बलगम निकले ।

मूत्र — थोड़ा अधिक श्लेष्मा जैसा तलछट । मूत्राशय का नजला । चिमाफि. ।

सम्बन्ध — बैलसेमम टोलुटैनम — दि बालसैम ऑफ माइरोक्सिलोन टोलुइफेरा (जीर्ण वायुनलिका प्रदाह, अधिक बलगम के साथ) ओलियम कैस्यिोफाइलम — आयल ऑफ क्लोव — अधिक मात्रा में पीब वाले बलगम के साथ-3 से 6 बूंद या कैपसूल में दें ।

मात्रा — पहली शक्ति । क्षय ज्वर 6x ।

गैर होमियोपैथिक प्रयोग — कठिन घाव की कच्ची जगह को बल देता है । सूखी खुजली, स्तन घुण्डी फटी हुई, खाज में, घाव को भरता है, दुर्गन्ध को दूर करता है । श्वास रोग में फुहारे से 1 प्रतिशत सोल्यूशन सुरासार या ईथर में बनाकर (स्प्रे) । जीर्ण वायु नलिका प्रदाह में बलगम निकलने के लिए खिलाया जाता है । मात्रा 5 से 15 बूंद गोंद में गोल या अण्डे में घोटकर इमल्शन बनाकर दें ।

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