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Urethra Diseases
गुदा में अबुर्द का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Polypus in Rectum ]
ट्युक्रियम 1 — इस औषधि का प्रयोग गुदा के अर्बुद में किया जाता है। गुदा-द्वार में बेहद खुजली होती है, रात में सोते समय गुदा-द्वार में चिरमिराहट होती है, कृमि चलते हुए से महसूस होते हैं; रात को कष्ट बढ़ जाता है। सवेरे मल-त्यागने के पश्चात…
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गुदाद्वार से खून आने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Bleeding from Anus ]
एलूमेन 6 — सख्त मल के साथ रक्त का आना, शराब पीने के कारण गुदा से रक्त आने लगना।
क्रौकस 30 — यदि मल के साथ निकलने वाला रक्त काला हो, सूतदार हो, छ काले धागे से लटकें, तो इस औषधि से लाभ होता है।
नाइट्रिक एसिड 6 — यह औषधि गुदा से रक्तस्राव…
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गुदा का चिर जाना या कांच निकलने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Prolapsus of Anus ]
मलद्वार से सरलांत्र (कांच) के बाहर निकल आने को "कांच निकलना" कहते हैं। 1 से 6 इंच तक कांच बाहर निकल आती है। यदि समूची श्लैष्मिक-झिल्ली बाहर निकल जाए, तो उसे "गुह्यद्वार निकलना" कहते हैं। कृमि, बवासीर, मलद्वार की खुजली, उद्येद का बैठ जाना,…
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गुदा के फटने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Fissure-in-Ano ]
नाइट्रिक एसिड 6 — मल-त्याग करने तथा उसके बाद गुदा में तेज दर्द। रोगी दर्द के कारण तीव्र-वेदना में आगे-पीछे टहलता है। कठोर मल द्वारा गुदा के फट जाने से ऐसा होता है। गुदा पर इस औषधि से अधिक निश्चित प्रभाव किसी अन्य औषधि का नहीं है। गुदा के…
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गुदाद्वार के पास मस्से निकने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Condyloma, Genital warts…
थूजा 3 — इस मस्से की शक्ल फूल गोभी जैसी दटी-कटी या अंजीर जैसी होती है। रोगी को खुले भाग में पसीना आता है। मस्से की उत्पत्ति का कारण शरीर में छिपा गोनोरिया का विष होता है। इस औषधि को प्रातः 6 घंटे दें तथा इसका मूल-अर्क सुबह-शाम मस्से पर…
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गुदा का फोड़ा (भगन्दर) का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Fistula-in-Ano ]
मलद्वार के ठीक चारों तरफ एक प्रकार का नालीक्षत या नासूर होता है, जिसे *भगंदर" कहते हैं। यह अधिकतर स्वास्थ्य-भंग होने पर हुआ करता है। त्वचा के ऊपर बारीक छिद्र से हर समय पीब-सरीखा एक प्रकार का तरल पदार्थ निकला करता है। मल-त्याग करते समय अथवा…
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बवासीर (अर्शरोग) का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Hemorrohoids (Piles) ]
यकृत के भीतर और यकृत-धमनी आदि में रक्त की अधिकता होकर अर्श या बवासीर हो जाती है, इसलिए यकृत का दोष ही इस रोग का मुख्य कारण है। इस रोग में गुदा की शिराएं फूलती और बढ़ जाती हैं। ये शिराएं "बलि" या "मस्सा" कहलाती हैं। यह बलि मलद्वार के बाहर…
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गुदा-प्रदेश के रोग का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Rectum or Anus Troubles ]
गरिष्ठ-वस्तुओं तथा मदिरा आदि का अत्यधिक सेवन, पेट की गड़बड़ी, आवश्यकतानुसार परिश्रम न करना, एक ही स्थान पर अधिक समय तक बैठे रहकर काम करना, अधिक मैथुन तथा यकृत-विकार आदि के कारण प्रायः गुदा-रोग की उत्पत्ति हो जाती है। गुदा-रोग बड़े कष्टप्रद…
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ऐंठन या कंपन या आक्षेप का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Convulsions, Spasms ]
किसी भी अंग में रक्त-संचय हो जाना। मस्तिष्क में रक्त-संचय के कारण आक्षेप होता है। सिर गरम और पैर ठंडे होते हैं। चेहरा दहकने लगता है। रोग का आक्रमण एकाएक होता है, रोशनी, हरकत या सर्दी से आक्षेप हो जाता है। ऐंठन, कंपन अप्रत्याशित रूप में होने…
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रीढ़ की हड्डी का सूजन का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Transverse Myelitis ]
स्नायु-मंडल की दुर्बलता इस रोग का कारण है, इसके परिणामस्वरुप मेरुदंड में टेंडरनैस आ जाती है, जिससे दर्द और पीड़ा होती है; टांगों में कमजोरी आ जाती है, जरा-से काम से ही बहुत थकावट महसूस होने लगती है।
फाइजोस्टिग्मा 3 — रोगी-अंग दर्द से…
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