Dvipaad Sirsasana, Dvipaad Skandasana Method and Benefits In Hindi
द्विपाद शिरासन/द्विपाद स्कंधासन
विशेष: यह आसन उन साधकों को करना चाहिए जो कि एक पाद शिरासन में अभ्यस्त है।
विधि
दोनों पैर फैलाकर बैठ जाएँ। एक पैर को दोनों हाथों के सहारे एक पाद शिरासन करें। इसी प्रकार से दूसरे पैर को भी कंधे पर रखें एवं दोनों पैरों को व्यवस्थित कर आपस में कैंचीनुमा ढंग से फँसा लें, पर ज़बरदस्ती न करें। क्रमशः अभ्यास से संभव हो जाता है। अब नितम्बों में संतुलन बनाते हुए नमस्कार की मुद्रा बनाएँ।
ध्यान: स्वाधिष्ठान चक्र पर
श्वासक्रम/समय: रेचक करते हुए क्रमशः पैरों को कंधों पर रखें। आसन की पूर्ण स्थिति में स्वभाविक श्वसन एवं रेचक ही करते हुए पैरों को निकालें। यथाशक्ति अभ्यास करें।
लाभ
- पुरुष रोगों के लिए अत्यन्त लाभकारी।
- महिलाएँ मासिक धर्म की समस्याओं से छुटकारा पा सकती हैं।
- पाचन तंत्र को व्यवस्थित कर क़ब्ज़, अपच आदि बीमारियों को दूर करता है।
- कमर और मेरुदण्ड में लोच-लचक पैदा कर उन्हें सशक्त बनाता है।
- मोटापे से निजात दिलाता है।
सावधानियाँ
- प्रथम अभ्यासी 10/15 सेकेण्ड से ज्यादा न करें।
- मेरुदण्ड, पीठ और कमर की किसी भी समस्या से पीड़ित व्यक्ति न करें।
- गर्भवती स्त्रियाँ और उच्च रक्तचाप, साइटिका, हृदयरोग, सर्वाइकल, स्पॉण्डिलाइटिस से पीड़ित रोगी न करें।
Comments are closed.