Gatimay Trilokasan Kriya Method and Benefits In Hindi

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गतिमय त्रिलोकासन क्रिया

विधि

इस आसन को और अधिक गतिमय बनाने के लिए मूल अवस्था (त्रिलोकासन) में खड़े हो जाएँ। पहले बाएँ पैर पर धीरे-धीरे वज़न देते हुए घुटने से मोड़े (चित्रानुसार) । पूरा भार बाएँ पैर की पिंडली पर देते हुए झुकें एवं बाएँ पैर के पंजे पर ज़ोर देते हुए बैठने की कोशिश करें। दूसरा पैर लंबवत ही रखें। इस प्रकार एक पैर मुड़ा हुआ एवं दूसरा पैर तना हुआ रहेगा। अब धीरे-धीरे बाएँ पैर पर ज़ोर देते हुए सीधे खड़े हो जाएँ। यही अभ्यास दाएँ पैर से करें।
श्वासक्रम/समय: नीचे बैठते समय श्वास छोड़ें। ऊपर उठते समय श्वास लें। 5-5 बार दोनों पैरों से करें।

विशेष

  • यह पिछले अभ्यास से थोड़ा कठिन है। अतः धीरे-धीरे ही करें।
  • पैरों को अधिक से अधिक फैलाकर करने से सरलता महसूस होती है।

लाभ

वे सभी लाभ मिलते हैं, जो त्रिलोकासन से प्राप्त होते हैं एवं पैरों की माँसपेशियाँ अधिक शक्तिशाली हो जाती हैं।

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