दौरा पड़ने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Convulsion ]

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बचपन में किसी रोग के कारण या दांत निकलने के समय अकड़न या खींचन होती है, दौरा पड़ जाता है। यह अवस्था बचपन में ही अधिक होती है। कभी-कभी मस्तिष्क में जल-संचय या दूसरा कोई नया रोग दौरे का कारण बन जाता है। रोग की प्रारंभिकावस्था में बच्चा चौंक उठता है, उसके चेहरे की मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं, श्वास लेने में कष्ट होता है, आंखों की पुतलियां चक्कर ख़ाने लगती हैं। यदि अकड़न अधिक हो, तो बच्चा एकाएक बेहोश हो जाता है; मस्तक, हाथ और पैर आदि की मांसपेशियों का संकोचन या अकड़न हो जाती है; नेत्रों के समक्ष तेज रोशनी रखने पर भी वह बोलता नहीं है। मुंह से फेन निकलता है, वह कसकर मुट्ठी बांध लेता है, पैर की उंगलियां तलवे की तरफ टेढ़ी हो जाती हैं और 2-1 मिनट के बाद या तो अकड़न एकदम अच्छी हो जाती है या कुछ ठहर कर पुनः होने लगती है। इसी तरह बार-बार हुआ करता है।

बेलाडोना 3 — दौरे के साथ मस्तिष्क में प्रदाह या मस्तिष्क में रक्त-संचय, चेहरा गरम, लाल, निद्रा से एकाएक चौंक उठना, टकटकी लगाकर देखना। इस औषधि की 1 मात्रा प्रति 15 मिनट पर देनी चाहिए।

एकोनाइट 2x — ज्वर, बेचैनी, चेहरा तमतमाया, अकड़न होने या दौरा पड़ने की संभावना, डर जाने के कारण अकड़न होने पर यह औषधि प्रयोग करने से लाभ हो जाता है।

जेलसिमियम 3 — मस्तिष्क के उपसर्ग के कारण दौरा पड़ने पर।

साइना 2x — सूत की तरह कृमि के कारण दौरा पड़े, तब दें।

ओपियम 6 — भय के कारण दौरा पड़ना या अकड़न होना। अकड़न हो जाने के बाद ही बेहोश हो जाना; श्वास लेने में कष्ट, कब्जियत का होना।

कैमोमिला 6 — अजीर्ण के कारण अकड़न; आंखों की पलक और चेहरे की मांसपेशियों का फड़कना; बच्चे का एक गाल लाल और दूसरा सफेद। दांत निकलने के समय अकड़न। चिड़चिड़े स्वभाव वाले बच्चों के लिए यह उपयोगी औषधि है।

क्यूप्रम 30 — चेहरा फूला और लाल, दौरा आरंभ होने के पहले सिकुड़ जाता है। मिर्गी रोग की तरह उपसर्ग होने पर प्रयोग करें।

नोट — रोग का आक्रमण होने पर बच्चे के गरदन का पिछला भाग, छाती और शरीर के सब अंगों के वस्त्र ढीले कर देने चाहिए। सिर कुछ नीचा रखना चाहिए; मुंह पर पानी के छींटे देना और हवा करनी चाहिए। गरम पानी से शरीर पोंछना या ठंडे पानी में कपड़े का टुकड़ा भिगोकर मस्तक पर लगाना अच्छा है।

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