मासिक स्राव का दर्द का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Dysmenorrhea ]

548

रजःस्राव की गड़बड़ी के कारण तलपेट में और कमर में पीड़ा देने वाला दर्द पैदा होता है, इसे “बाधक-वेदना” अथवा “कष्टरजः, रजःकृच्छता” या “ऋतु-शूल” कहते हैं। बाएं डिम्बाशय में तेज दर्द के साथ थोड़ा रजःस्राव (ऋतुकाल में), तलपेट में, मेरुदंड में, कमर में या समूचे शरीर में तेज दर्द, कमजोरी, सिरदर्द, सिर में चक्कर, आलस्य, अग्निमांद्य, मिचली या वमन आदि लक्षण बाधक-वेदना में उपस्थित रहते हैं। अति मैथुन, जरायु की स्थानच्युति और श्वेतप्रदर आदि कारणों से इस रोग की उत्पत्ति होती है।

सिमिसिफ्यूगा 6 — ऋतुकाल में, ऋतु के पहले सिरदर्द में, प्रसव-वेदना की तरह उदर में दर्द, तलपेट और पुट्टे में दर्द, पाकस्थली के ऊपर तेज दर्द, मैले रंग का थोड़ा रजःस्राव या थक्का-थक्का अधिक परिमाण में रजःस्राव होने के लक्षण में यह औषधि अत्यंत गुणकारी है।

पल्सेटिला 30 — कमर, तलपेट और पीठ में काटने की तरह यो तोड़ने की तरह दर्द।

बेलाडोना 6 — जरायु और डिम्बाशय में रक्त-संचय के कारण पैदा हुए बाधक के दिन में, वस्ति-गह्वर में ज्यादा दर्द; रजःस्राव के एक दिन पहले से ही दर्द का हो जाना, ऋतु-शूल आदि में।।

जेलसिमियम 3x — जरायु में रक्त-संचय की वजह से खींचन, योनिद्वार और उसमें तेज दर्द।

काक्युलस 6 — पेट में ऐंठन की तरह दर्द मालूम होना।

Comments are closed.