जहरीला घाव का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Malignant Pustule ]

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यह संक्रामक रोग है। एक प्रकार के कीटाणु या विष इस रोग के मुख्य कारण हैं। जब यह विष मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है, तब शरीर की त्वचा पर खुजली मचने लगती है और रोगी स्थान लाल होकर फूल जाता है। इसके बाद वहां बड़ी-बड़ी पानी भरी फैसियां हो जाती हैं। जब यह फंसियां गल जाती हैं, तब घाव पैदा हो जाता है। इस रोग के होने पर ज्वर, पतले दस्त, वमन, पसीना आदि लक्षण प्रकट होते हैं। रोग के भीषण होने पर रोगी की मृत्यु तक हो जाती है।

सिकेलि 3 — रोग वाले स्थान का सड़ना आरंभ होने पर उपयोगी है।

हाइपेरिकम 200 — इस औषधि के सेवन और फोड़े पर गरम सेक देने से घाव प्रायः ठीक हो जाता है। दो-चार दिन औषध-सेवन से लाभ होता नं दिखे, तो लक्षण के अनुसार अन्य औषधि देनी चाहिए।

ऍथासिन 30 — रक्त खराब होकर शरीर में बहुत जलन का अनुभव होने पर यह उपकारी है।

टैरेंटुला 200 — बैंगनी रंग का दूषित घाव, भयानक जलन, डंक मारने की तरह यंत्रणा और बहुत कमजोरी रहने पर दें।

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