जिह्वा का पक्षाघात का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Paralysis of The Tongue ]

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डल्केमारा 30 — जिह्वा सूज जाती है, अकड़ जाती है। पक्षाघात का प्रभाव पूरी तरह से न पड़ा हो, तब भी ऐसा प्रतीत होता है कि जिह्म का पक्षाघात हो गया है। जिल्ला मुंह से बाहर नहीं निकाली जाती, तब इस औषधि के सेवन से लाभ होता है।

लैकेसिस 30 — जिह्म का पक्षाघात हो, रोगी अपनी पूरी जिह्वा मुख से बाहर न निकाल सके, तब इसका प्रयोग कर देखना चाहिए। यह जिह्वा के पक्षाघात में बहुत उपयोगी है।

कॉस्टिकम 3, 30 — जिह्वा के पक्षाघात में इस औषधि का प्रमुख स्थान है, इसलिए इस औषधि का प्रयोग सबसे पहले करना चाहिए, क्योंकि पक्षाघात की यह सर्वोत्कृष्ट औषधि है।

प्लम्बम 3, 30 — यदि उपर्युक्त औषधियों से कोई लाभ न हो, तो जिह्वा के पक्षाघात में इसका सेवन अवश्य ही कराना चाहिए।

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