बच्चे को जन्म देने के बाद नारबेल (नाल) का ना निकलने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Placenta Retained ]

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प्रसव यानी बच्चा पैदा होने के बाद प्रायः वह झिल्ली निकलती है, जिसमें स्त्री के पेट में रहने के समय बच्चा लिपटा रहता है, वह झिल्ली “नारबेल” कहलाती है। बच्चा बाहर आने के बाद स्वाभाविक अवस्था में इस नारबेल का निकलना बहुत आवश्यक है। यदि यह न निकले तो निम्नलिखित औषधियों देना अनिवार्य हो जाता है।

ऐक्टिया रेसिमोसा 30 — गर्भाशय के नियमित संकोचन के अभाव से यदि नारबेल पूरी तरह से न निकले, तो इस औषधि का प्रयोग करने से वह आसानी से बाहर निकल आती है।

पल्सेटिला 30, सिकेल कोर 30 — यदि प्रसव के बाद नारबेल निकलने में विलंब हो और उसे निकालने के लिए जो स्वाभाविक दर्द होने चाहिए, वे न हों, तो दोनों में से किसी भी एक औषधि को दें। ये गर्भाशय को संकुचित कर उसमें से नारबेल को निकाल देती हैं।

ओपियम 200 — यदि सिकेल या पल्स से कोई लाभ न हो, तो यह औषधि देनी चाहिए।

कैल्केरिया कार्ब 200 — जरायु के संकोचन न होने के कारण दर्द बहुत कम हो, तो यह औषधि बच्चे तथा नारबेल को जरायु के बाहर धकेलने में सहायक सिद्ध होती है।

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