सूत की तरह कृमि का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Threadworm ]

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इस प्रकार के कृमि दल बांधकर मलद्वार के पास रहते हैं। कभी मूत्रनली या योनि-द्वार में भी चले जाते हैं। इसी कारण से इन स्थानों में खुजली होती है, जलन होती है और धातु निकलती है। मादा-कृमि पौन इंच और नर-कृमि चौथाई इंच लंबे होते हैं। इनके रहने का विशेष स्थान छोटी आंत में जेजुनम से लेकर मलद्वार तक है। ये जब कभी योनि में प्रवेश कर जाते हैं, तो उससे उपदाह होकर योनि में से पीब गिरने लगती है, योनि में घाव हो जाता है। बहुत-सी स्त्रियां इसको श्वेत-प्रदर या प्रमेह समझ लेती हैं।

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