हृदय रोग में रोगज होम्योपैथिक औषधियां [ Homeopathic Nosodes In Heart Affections ]

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यहां हृदय से संबंधित कुछ विशिष्ट रोग और उनकी विशिष्ट औषधियों का उल्लेख किया जा रहा है। रोगानुसार औषधि का चुनाव करें।

सिफिलीनम (ल्युटिकम) 200, 1M — यह औषधि सिफलिस रोग के विष से निर्मित हुई है। रात को तलवार की नोंक की चुभन जैसा दर्द। वक्षास्थि के पीछे दर्द तथा दबाव या बोझ का अनुभव। इस औषधि की सब शिकायतें प्रायः रात्रि में वृद्धि पाती हैं।

गोनोरीनम (मैंडोराइनम) 200, 1M — यह गोनोरिया के विष से निर्मित हुई है। इस औषधि का रोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक, दिन के समय बढ़ता है और रात के समय घटता है। हृदय में गर्मी महसूस होती है, बहुत गर्मी। नाड़ी की गति तेज होती है, इतनी तेज की फूट जाएगी। हृदय के ऊपरी स्तर पर दर्द होता है, हरकत से दर्द बढ़ता है; दर्द बाएं बाजू तक पहुंचता है, गले तक भी जाता है। हृदय का तेज दर्द जो छाती के बाएं हिस्से में सब दिशाओं को जाता है। इस औषधि के मानसिक लक्षण भी अनेक हैं। सब कुछ अवास्तविक जान पड़ता है, सपने जैसा, मिथ्या। समय बहुत धीमी गति से चलता है। मानसिक-वेदना, अंत प्रेक्षण की वृत्ति। रोगी हर समय बुरी घटना की कल्पना किया करता है कि कहीं यह न हो जाए, वह न हो जाए, घर में आग न लग जाए, चोरी न हो जाए। ऐसा लगता है कि कोई उसका पीछा कर रहा है, वह चलता जाता है और मुड़-मुड़कर पीछे देख लेता है, ध्यान केंद्रित नहीं कर सकता, जो पढ़ रहा है, पढ़ते ही भूल जाता है। कोई समाचार आने वाला हो, उसे सुनने से पहले ही कल्पना में वह रोगी के हृदय को स्पर्श कर जाता है। इस सब लक्षणों में यह औषधि रामबाण है।

ट्र्यबर्म्युलीनम (बैसिलीनम) 200, 1M — यह तपेदिक के विष से निर्मित हुई है। यदि हृदय के रोगी के वंश में क्षयरोग का चिह पाया जाए, तो हृदय की धड़कन, छाती में बोझ, भारीपन, हृदय पर दबाव महसूस करना, सोकर उठने पर चिड़चिड़ा होना, उसे कुछ भी अच्छा न लगे, किसी बात से संतोष नहीं होता, घुमक्कड़ प्रकृति का होता है, एक स्थान पर टिककर नहीं रह सकता। बंद कमरे में उसे घुटन होती है।

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