त्वचा के रोग का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Remedies For Skin Diseases ]

2,020

त्वचा के रोग वर्तमान में बहुत व्यापक हैं। होम्योपैथी त्वचीय रोगों में बहुत लाभ करती है। त्वचा-संबंधी विभिन्न रोगों में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियां रोगी को सेवन करानी चाहिए।

स्टैफिसैग्रिया 30 — यदि किसी की त्वचा पर हाथ लगाया या फेरा जाए, तो हाथ पर उसकी त्वचा की चिकनाहट हाथ पर आ जाए, तो यह औषधि दें।

सीपिया 6 — यदि जननांगों में चिकना पसीना आता हो, तो यह औषधि उपयोगी है।

नैट्रम म्यूर 6, 30 — बहुत से लोगों की त्वचा ऑयली होती है। उनकी त्वचा साबुन से धोने पर भी चिकनी रहती है। उनके लिए यह उपयुक्त औषधि है। 1 मात्रा प्रतिदिन देनी चाहिए।

स्पंजिया (मूल-अर्क) — डॉ० पर्सी के कथनानुसार सभी प्रकार के त्वचा के रोग इससे ठीक हो जाते हैं। मूल-अर्क (टिंक्चर) की 2 बूंद दिन में तीन बार देनी चाहिए।

हिपर सल्फर 6 — त्वचा कटने-सी लगे, तनिक-सी प्रतिकूलता में त्वचा में दुखन होने लगे, तो इससे रोग दूर हो जाता है। बहुत लाभकारी औषधि है। दिन भर में 3 बार अवश्य ही दें।

पेट्रोलियम 30 — तनिक-सी रगड़ या खरोंच लगने पर त्वचा पकने लगे, तब यह औषधि दें।

सल्फर 30 — यदि त्वचा में खुजली हो और खुजलाने पर राहत मिलती हो अथवा त्वचा पर दानेदार छोटी-छोटी फुसियां हो जाएं, जिनमें खुजलाहट हो, तब इसे देने से लाभ होगा।

सेलेनियम 30 — यदि त्वचा पर चिकनाहट वाला पसीना आता हो, तो इस औषधि को दें।

गैफाइटिस 6, 30 — सिर, चेहरे, जोड़ों के बीच, उंगलियों के बीच, कान के पीछे रिसने वाले, छिलकेदार दाने मुख तथा आंख के कोने फट जाते हैं, उनमें से रक्त रिसती रहता है, किसी-किसी के सिर पर एग्जीमा हो जाता है। भांति-भांति के त्वचीय रोगों के लिए यह प्रधान औषधियों में से एक है।

आर्सेनिक 30, 200 — यह औषधि त्वचा के उन सब रोगों में उपयुक्त है, जिनमें त्वचा मोटी पड़ जाती है। पुराने एग्जीमा में, सोरियासिस में, पुराने पित्ती-रोग में भी इससे लाभ होता है। इसके त्वचा-रोग में खुजली के अलावा जलन होती है, छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं, घाव हो तो उनमें जलन होती है, बदबूदार स्राव निकलता है। पुराने एग्जीमा के लिए जिसमें खुजली और जलन हो, यह सर्वोत्तम औषधि है। मछली खाने से त्वचा पर खुजली तथा जलन वाले दाने उभर आने या इन दोनों के दब जाने से कष्ट होने पर यह औषधि रामबाण का काम करती है।

सल्फर 30 — किसी अन्य औषधि की अपेक्षा इस औषधि से भयंकर खुजली के रोगी इससे ठीक हो जाते हैं। सिर पर खुश्की, गर्मी, तीव्र खुजली जो रात्रि में बढ़ जाए, खुजलाने से वह जगह दुखने लगे; लाल-लाल त्वचीय एग्जीमा-ये सब इससे जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।

एण्टिम क्रूड 6 — त्वचा पर मोटे-मोटे दाने हो जाएं, नाखून ठीक से न बढ़ते हों, बच्चों के सिर पर शहद के रंग-सरीखे खुरंड पड़ जाएं, तब यह औषधि प्रयोग करें।

थूजा (मूल-अर्क) 30 — मस्सों पर अथवा टीके के बाद एग्जीमा हो जाने पर इससे लाभ होगा।

नैट्रम म्यूर 30 — यदि पित्ती उछल आए, जोड़ों में खुजली हो, तो इससे लाभ होता है।

हाइड्रोकोडाइल 6 — कुष्ट-रोग की यह अत्युत्तम औषधि है। सोरियासिस में भी लाभप्रद है।

पेट्रोलियम 12 — त्वचा कठोर तथा खुश्क हो। उंगलियों के अग्रभाग के हाथ फटे रहते हैं। कानों के पीछे एग्जीमा में विशेष लाभप्रद है।

मैजेरियम 6, 30 — बच्चों के सिर में वसा-ग्रंथियों के स्राव से सिर पर दुधैल पपड़ियां जम जाती हैं, इस कष्ट में यह सर्वोत्तम औषधि है।

रस-टॉक्स 30 — खुजली, एग्जीमा और हर्षीज आदि में यह उपयोगी औषधि है। दाहिनी तरफ की हर्षीज में जब बहुत अधिक छाले पड़ जाएं और साथ ही वातरोग हो, त्वचा सूज जाए, बरसात तथा सर्दी में रोग बढ़ जाए, तब इससे लाभ होता है।

ओलिएंडर 30 — जरा-सी रगड़ से ही त्वचा दुखने लगती है। गरदन, अंडकोशों की थैली तथा जांघों में विशेष रूप से खुजली मचती है। खुजलाने से पहले राहत मिलती है, किंतु बाद में वे दुखने लगते हैं, तब इससे लाभ होता है।

रैननक्युलस बलबोसस 30 — नर्व के मार्ग पर छाले हों, जिनमें जल भरा रहता है; बड़ी जलती और दुखती त्वचा पर बड़े-बड़े छाले पड़ जाते हैं, हर्षीज जोस्टर के लिए भी यह अत्युत्तमं है।’

नाइट्रिक एसिड 6 — ऐसे ऊंचे-नीचे मस्से जिन्हें धोने से रक्त निकलने लगे, घाव हो जाएं।

पल्सेटिला 30 — फल तथा गोश्त आदि के सेवन से त्वचा पर पित्ती हो जाए अथवा पेट या गर्भाशय की खराबी के कारण, मासिक-धर्म के कारण त्वचा पर पित्ती के से दाने होना। मौसम के परिवर्तन से त्वचा में अग्नि-सरीखी बेहद खुजली हो, उंगलियों के सूज जाने के कारण उनमें खुजली हो, तब यह औषधि बड़ा अच्छा काम करती है।

फ्लोरिक एसिड 6, 30 — खुजलाने वाले लाल दाने जिन पर त्वचा झड़-झड़ कर उतरे। एग्जीमा में इस प्रकार के लक्षणों में उपयोगी है।

हिपर सल्फर 30, 200 — त्वचा की तहों तथा जोड़ों के मोड़ों में तर दानें तथा उनमें खुजली होना, सिर पर तर एग्जीमा हो जाना; अंडकोश अथवा जननेंद्रिय तथा फोड़े हो जाते हैं, तब इस औषधि से लाभ होता है।

टेल्लयूरियम 6, 30 — नाई की कैंची, उस्तरे की वजह से खुजली, एग्जीमा आदि में उपयोगी है। दाद आदि में भी अच्छा काम करती है।

इल्केमारा 30 — मछली खाने से त्वचा का रोग हो, तो यह उसमें लाभ करती है।

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