छींकने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Treatment For Sneeze ]

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दिन को बहता हुआ जुकाम रात को सूख जाता है। प्रायः खुश्क और ठंडी हवा लगने से जुकाम हो जाता है, नाक बंद हो जाती है और छींके आने लगती हैं। कभी-कभी धूल और मिट्टी के कण नाक में चले जाने से भी छींके आती हैं, जबकि किसी-किसी को बिना कारण ही छींके आती रहती हैं। किसी शुभ अवसर पर छींकना बहुत बुरा माना जाता है।

साइलीशिया 6, 30 — यदि छींकने का रोग पुराना हो, तो यह औषधि लाभ करती है।

नैट्रम म्यूर 30 — जुकाम का बहती पनीला पानी, कभी बहे और कभी न बहे, ठंड का अनुभव होता रहे, ऐसे रोगी जो सदा छींका करते हैं, उनके लिए यह औषधि अत्यंत लाभदायक है।

नक्सवोमिका 30 — यदि छींकों पर छींके आती रहें और व्यक्ति छींकते-छींकते परेशान हो जाए और सिर पकड़ ले, तब यह दें। यह छींकों की सबसे प्रमुख औषधियों में से एक है।

कार्बावेज 6, 30 — छींकते ही जाना और छींकों का क्रम ने टूटना में यह औषधि उपयोगी है।

एलियम सीपा 3 — गर्मी तथा ठंड से छींकों का आना। जुकाम में प्रचुर मात्रा में पसीना और बहुत लगने वाला स्राव निकलना, इसी के साथ छींकों का वेग बढ़ना।

जेलसिमियम 6 — जुकाम के साथ छींके, रोगी को तंद्रा आती है, मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं, शरीर में शीतलता चढ़ती-उतरती रहती है, उसी के साथ छींकों का वेग बढ़ जाता है।

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