Paad Prasaranakachap Asana, Kurmasana Method and Benefits In Hindi

397

पाद प्रसारणकच्छप आसन/कूर्मासन

शाब्दिक अर्थ: कूर्म का अर्थ कछुआ है।

विधि

ज़मीन पर पैर लंबवत् करके बैठ जाएँ। दोनों घुटनों के बीच लगभग 1 या 1/2 फ़ीट का अंतर रखें। सिर सामने की तरफ़ झुकाएँ और इसी क्रम में हाथों को दाहिने घुटने के नीचे से दाहिने हाथ को, बाएँ घुटने के नीचे से बाएँ हाथ को बाहर निकालें और दोनों हाथों को धीरे-धीरे पीठ की तरफ़ ले जाएँ। दोनों हाथों की हथेलियों को एक दूसरे से मिलाएँ या दोनों हाथों को धरती के समानान्तर फैला लें। आसन पूर्ण करने के लिए घुटनों को ऊपर उठाते हुए पैर के तलवों को ज़मीन के समानांतर रखें। श्वास क्रिया सामान्य रखें। पहले झुकते समय रेचक करें। इसी क्रम में दोनों पैरों के टखनों को एक दूसरे में फँसा लें और हाथों को पीठ पर बाँध लें तो सुप्त कूर्मासन कहलाएगा।
श्वासक्रम: सामने झुकते समय श्वास बाहर निकालें। अंतिम स्थिति में श्वास-प्रश्वास सामान्य रखें एवं मूल स्थिति में आते समय श्वास लें।
समय: यथासंभव। आध्यात्मिक लाभ हेतु अधिक देर तक करें।
ध्यान: स्वाधिष्ठान और मणिपूरक चक्र पर।

लाभ

  • यह आसन शारीरिक स्थिरता प्रदान करता है।
  • मस्तिष्क को तनाव मुक्त करता है। मन प्रफुल्लित करता है।
  • पीठ दर्द, कमर दर्द व ग्रीवा दर्द के लिए उपयोगी।
  • उदर के अवयवों को सक्रिय करता है।
  • क़ब्ज़ दूर करता है।
  • यह आसन विषय-कषायों को जीतना सिखाता है।
  • गुर्दो को शक्ति प्रदान करता है।

सावधानियाँ: स्लिप डिस्क व साइटिका से पीड़ित रोगी इस आसन को न करें।

Comments are closed.