SACCHARUM OFFICINALE Homeopathy Use and Side Effects In Hindi

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सैक्रम ऑफिसिनेल सकरोज (Saccharum Off. Sucrose)

(केन-शूगर)

महान डॉ. हेरिंग के अनुसार स्त्रियों और बच्चों के अधिकांश जीर्ण रोग अधिक चीनी के व्यवहार से होते हैं ।

चीनी कीटाणुनाशक है । संक्रमण और सड़न को रोकती है, रेशों को गलाती है और घोर अभिसरण क्रिया उत्पन्न करके स्राव को बढ़ाती है, इस प्रकार से घाव को रक्तरस से भीतर की तरफ से बाहर की तरफ साफ करती है और घाव भरने में सहायक होती है । टाँगों के घाव ।

चीनी हृदय की पेशियों के लिए शक्तिवर्धक और विकास करने वाली है, इसलिए रक्त की संतुलन क्रिया की लोपता में और कई तरह की हृदय पटल की बाधाओं में लाभकारी है । एक शक्तिवर्धक और पोषक का काम करती है जैसे रक्तहीनता में, क्षीण रोग में, स्नायु दौर्बल्यता में इत्यादि । वजन और शक्ति बढ़ाती है ।

चक्षुतारा का धुंधलापन । धुन्ध दृष्टि । अम्ला और गुदा खाज । ठंडा बलगम । हृदय पटल की क्षीणता ।

मोटे, फूले, बड़े अंगों वाले बच्चे, जो क्रुद्ध, चिड़चिडे़ चंचल स्वभाव के, स्वादिष्ट भोजन के इच्छुक हों, स्वादिष्ट चीजें और पौष्टिक भोजन का बहिष्कार करें । पैरों का शोथ । हर सातवें दिन सिर दर्द ।

सम्बन्ध — तुलना कीजिए : सैकरम लैक्टिस — शूगर ऑफ मिल्क–लैक्टोज । दिन में अधिक मूत्रस्राव, कष्टदायक दृष्टि ठंडे, दर्द जैसे महीन बर्फीली सुइयाँ गढ़ाई जा रही हैं, चुनचुनाहट के साथ, मानो पाला लगा हो, अधिक शारीरिक थकान । शूगर ऑफ मिल्क, बड़ी मात्रा में बैसिलस एसिडफोलस के विकास के लिए जो कि आँतों में सड़न बाधाओं को ठीक करने और कब्ज को दूर करने के लिए उपयुक्त ।

मात्रा — 30 शक्ति और ऊँची । गठित घाव में स्थानीय प्रयोग । बिना पटल विकार के हृदय की पैशिक दौर्बल्य के कारण हृदय स्थगन की कठोर अवस्थाओं में अन्य चिकित्सा के साथ आधी छटाँक मिश्री सुबह और शाम मूल्यवान है । मिरगी रोग, रक्त में चीनी की कमी से स्नायु में उत्तेजना होती है और विक्षेप की प्रवृत्ति बढ़ जाती है । यदि कोई यांत्रिक रुकावट न हो और केवल गर्भाशय की क्षीणता हो तो चीनी शीघ्रता से बच्चा पैदा करने के लिए मूल्यवान है । 25 ग्राम चीनी पानी में घोलकर हर आधे घण्टे पर कई बार दें ।

तुलना कीजिए : — सैकरिन (लाला-रस और पाचन-रसक्रिया को रोकती है जिससे अनपच उत्पन्न होता है) । प्रोफे. लेबिन का विश्वास है कि स्राविक कोषों पर काम करती है और इससे (दाहिने कोखे में), दर्द, क्षुधाहीनता, दस्त और क्षीणता उत्पन्न होती है ।

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