VERBASCUM THAPSUS Side Effects and Uses In Hindi

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बरबैस्कम (Verbascum)

(मुलीन)

करोटि के पाँचवीं जोड़ा स्नायु के निचले जबड़े में जाने वाली स्नायु पर, कान पर, साँस-पथ पर, मूत्राशय पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, शूल के साथ सर्दी और जुकाम । चेहरे की स्नायविकता, वायुनलिका और मूत्र-यन्त्रों की उत्तेजना को शान्त करती है ।

चेहरा — स्नायुशूल जिसमें गण्डास्थि युगकलक प्रवर्द्धन, कनपटी व जबड़े की शोथ का स्थान और कान सभी सम्मिलित हों । (मेनिएन्थ.) । खासकर बाँयीं तरफ का कान, साथ में आँखों से पानी बहना । जुकाम जैसा लगे कि नाक का क्षेत्र चिमटी से कुचला गया हो । बोलने से, खाँसने से और ताप परिवर्तन से दर्द बढ़े, दाँत दबाने से भी रोग अधिक हो । दर्द चुभन के साथ उठे, जरा भी हरकत से शुरू हो, हर रोज एक ही समय सुबह व तीसरे पहर दर्द उठे ।

कान — कर्णशूल, रुकावट संवेदना के साथ । बहरापन । बाहरी कान सूखा पपड़ीदार । (बाहर लगाने के लिए भी) ।

उदर — दर्द गहराई में नीचे तक उतरे जिससे गुदा की संकोचक पेशी में सिकुडन होता है ।

मलाशय — कई बार पाखाना हो, नाभि क्षेत्र में ऐंठन के साथ । खूनी बवासीर, सूजा हुआ, कड़े मल के साथ । सूजन और दर्दीला बवासीर ।

साँस-यन्त्र — फटी आवाज, गहरी, कड़ी आवाज, बिगुल जैसी बोली, मोटी तेज आवाज । खाँसी, रात को बढ़े । दमा, गलकोष में दर्द, सोते में खाँसी आए ।

ठण्डा — लगातार टपका करें । अनैच्छिक मूत्रस्राव । पेशाब करने में जलन । मूत्राशय में दाब के साथ अधिक पेशाब ।

अंग — तलवों, दाहिने पैर और घुटनों में ऐंठन की तरह दर्द । निचले अंग भारी जान पड़ें । अँगूठा सुन्न मालूम दे । बाँयें टखने में स्नायुशूल । निचले अंगों में दर्द और कड़ापन ।

घटना-बढ़ना — बढ़ना : ताप परिवर्तन से, बोलने से, छींकने से, कसकर काटने से निम्नदन्त स्नायु, 9 बजे सुबह से शाम 4 बजे तक ।

सम्बन्ध — तुलना कीजिए : (रस ऐरोम., कॉस्टि, प्लैटिन, स्फिगुरस (गण्डास्थि युगलक प्रवर्द्धन में दर्द) ।

मात्रा — मुलीन का तैल (कान के दर्द में और कान के छेद की सूखी, पपड़ीदार अवस्था में । रात में या लेटने पर कष्टदायक खाँसी में भी स्थानीय (बाहरी प्रयोग) । आन्तरिक व्यवहार के लिए अरिष्ट और निचली शक्तियाँ) अनैच्छिक मूत्र-स्राव, 5 बूंद की मात्रा में रात और सुबह को खाना चाहिए ।

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