Vishvamitrasana Method and Benefits In Hindi

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विश्वामित्रासन

विश्वामित्र एक प्रसिद्ध ऋषि का नाम है। यह आसन उन्हीं को समर्पित है।

विधि

ताड़ासन में खड़े हो जाएँ। आगे की ओर झुकें एवं हथेलियाँ ज़मीन पर रखें। दोनों पैरों को 4 से 5 फिट पीछे ले जाएँ। श्वास छोड़े। दायाँ पैर दाएँ हाथ के पास लाएँ। दाहिने जांघ के सामने का हिस्सा दाहिनी भुजा के ऊपर पिछले भाग पर रखें और शीघ्र ही शरीर को दायीं तरफ़ घुमाएँ। बायां हाथ बायीं जांघ पर रखें और सन्तुलन बनायें रखें। बाएँ पैर को तिरछा करें अब बाएँ पैर के तलवे और एड़ी को ज़मीन पर दबाएँ तथा दाहिने हाथ पर वज़न देते हुए दाहिने पैर को ऊपर सामने की और सीधा करें एवं बायाँ हाथ सीधे ऊपर की ओर कर उसकी तरफ़ देखें। यह इस आसन की अंतिम अवस्था है। वापस मूल अवस्था में आएँ। यही क्रिया दूसरे पैर से भी करें।
श्वासक्रम/समय: पैर उठाते समय अंतःकुभक करें। अंतिम स्थिति में सामान्य श्वसन करें। मूल अवस्था में आते समय श्वास छोड़े। अंतिम स्थिति में 10 से 15 सेकण्ड रुकें एवं एक-एक बार दोनों तरफ़ से यही क्रिया करें।

लाभ

  • एकाग्रता और सन्तुलन में सामंजस्य बैठाता है।
  • हाथों और पैरों को सशक्त और मज़बूत बनाता है।
  • पूरे शरीर में सुद्रढ़ता प्रदान करता है।
  • उदर के अंगो को पुष्ट बनाता है।

नोट: सन्तुलन में ध्यान दें।

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