XANTOXYLUM FRAXINEUM Homeopathic Materia Medica In Hindi

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जैन्थकजाइलम (Xanthoxylum)

(प्रिकली ऐल)

इसका मुख्य प्रभाव स्नायु-मण्डल और श्लैष्मिक झिल्ली पर पड़ता है । पक्षाघात, खासकर आधे शरीर का । पीड़ाजनक रक्तस्राव, प्रसव के बाद का दर्द । स्नायुशूल पीड़ा जनक मासिक धर्म और वात रोग सम्बन्धी बाधाएँ, सभी इस औषधि के चिकित्सा के क्षेत्र में उपयोगी होने की तरफ संकेत करते हैं । खासकर सादे जीवन के और स्नायविक व कोमल शरीर वाले व्यक्तियों के लिए । पतली रक्तवाहिनियों में रक्त-संचार की मन्द गति । स्नायु-दौर्बल्य, पोषण क्रिया की निर्बलता, अनिद्रा, पिछले भाग का सिर दर्द । मुँह में स्राव को बढ़ाने का काम करती है ।

मन — उत्तेजित, भयभीत । मानसिक उदासी ।

सिर — भरापन । सिर पर बोझ और दर्द । आँखों के ऊपर दर्द । नाक पर थरथराहट दाब, सिर विभाजित जान पड़े, कोनों में टनटनाहट । सिर के पिछले भाग का दर्द । चक्कर और वादी के साथ कष्टदायक सिर दर्द ।

चेहरा — निचला जबड़े का स्नायुशूल । मुँह और मुख-गह्वर का सूखापन । गलकोष प्रदाह (वाइथिया) ।

उदर — चुभन और दस्त । पेट में तनाव, कूंथन, गन्धहीन स्राव के साथ पेचिश ।

स्त्री — मासिकधर्म समय से पहले और पीड़ाजनक । डिम्बाशय के स्नायुशूल कमर और अंगों में दर्द के साथ, बाँयीं तरफ अधिक, नीचे जाँघों तक उस स्नायु के मार्ग से उतरे जो जंघा और जननेन्द्रिय से सम्बन्धित है । स्नायुशूल और पीड़ाजनक मासिकधर्म साथ में स्नायु शूलिक सिर दर्द, पीठ में और टाँगों में नीचे तक दर्द । मासिकधर्म गाढ़ा, लगभग काला । प्रसव के बाद का दर्द । (आर्निका, क्युप्रम, कैमोमिला) । मासिक धर्म होने के समय प्रदर हो । स्नायु दौर्बल्य के रोगी, जो दुबले, सूखे हों, पोषण क्रिया की मन्दता, साथ में अनिद्रा और सिर के पिछले भाग में दर्द ।

साँस-यन्त्र — स्वरलोप । लम्बी साँस लेते रहना, सीने पर दाब । सूखी खाँसी रात-दिन ।

अंग — मेरुदण्ड के बाँयीं तरफ का पक्षाघात । बाँयीं तरफ का भाग सुन्न होना, चालन स्नायु की क्रम-भ्रष्टता । आधे शरीर का पक्षाघात । गरदन की जड़ में दर्द पीठ तक बढ़े । जाँघ के अगले भाग का स्नायुशूल (स्टैफिसेग्रिया) बाँयीं बाँह सुन्न हो । स्नायुशूल का चमकन दर्द । बिजली लगने जैसा, सभी अंगों में ।

नींद — कड़ी अनिद्रा और प्रफुल्लित, उठने का स्वप्न देखे, स्नायु दुर्बल लोगों की अनिद्रा ।

सम्बन्ध — तुलना कीजिए : नैफेलि., सिमिसिफ्यूगा, स्टैफिसे., मेजेरि., पिसिडिया-ह्वाईट डॉगऊड-(स्नायविक उत्तेजना को शान्त करती है । चिन्ता के कारण अनिद्रा । स्नायविक उत्तेजना, आक्षेपिक खाँसी, क्रमभ्रष्ट मासिक धर्म का दर्द, स्राव ठीक करती है । स्नायुशूल और आक्षेपिक रोग । अरिष्ट की वृहत् मात्रा में व्यवहार करें ।

मात्रा — 1 से 6 शक्ति ।

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