रक्ताल्पता का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Anemia ]

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स्वस्थ मनुष्य के रक्त में प्रति हजार 130 भाग लालकण होते हैं। इन लालकणों की कमी हो जाना और रक्त में नमक का अंश या सफेद कणों का घट जाना ही रक्तहीनतां”एनीमिया” कहलाता है। नाड़ी का क्षीण हो जाना, कमजोरी, आलस्य, भूख न लगना, श्वास की कमी, कलेजा कांपना, सिरदर्द प्रभृति लक्षण इस रोग में उपस्थित हो जाते हैं।

फेरम मेटालिकम 6 — चेहरे का रंग फीका, कमजोरी के कारण चल न पाना, दर्द सहन नहीं होता, सिर में चक्कर आता है, हथेली और पैर के तलवे ठंडे रहते हैं, कलेजा अधिक धड़कता है, खाद्यों से अरुचि रहती है। हाथ, पैर, मुंह फूल जाता है। या फूला-सा दिखाई देता है। इसमें यह लाभ करती है।

कैल्केरिया कार्ब 30 — थोड़ा-सा परिश्रम करते ही पसीना और थकान आना, कमजोरी की वजह से चल-फिर न पाना, पांव के तलवे ठंडे रहते हैं, कलेजा अधिक धड़कता है, पेट फूल जाता है। इसमें यह उपयोगी है।

पल्सेटिला 30, 200 — जो युवतियां धीर, नम्र और अभिमानी होती हैं, चट से रो देती हैं, जिनकी मन की गति सदैव परिवर्तनशील रहती है, उनकी रक्तहीनता में यह औषधि उपयोगी है।

नैट्रम म्यूर 200 — रोगी का दिनोंदिन जीर्ण-शीर्ण, शुष्क, कमजोर और रक्तहीन होते जाना, शरीर का रंग फीका पड़ जाना, कलेजा धड़कना, थोड़ा-सा परिश्रम करने पर थकावट आ जाना।

साइक्लैमेन 30 — रक्तहीनता (एनीमिया) के कारण से एक पार्श्व का सिरदर्द, कमजोरी, ऋतु की गड़बड़ी, बदहजमी इत्यादि लक्षण रहें, तो इसका प्रयोग किया जाना चाहिए।

गैफाइटिस 30, 200 — जो स्त्रियां बाहर से देखने में सुंदर, मोटी-ताजी, गोल-मटोल, थुलथुली और बलवान मालूम होती हैं, किंतु भीतर से कमजोर और रक्तहीन होती हैं, जिनका ऋतु-स्राव बहुत कम और अधिक विलंब से होता है, रक्त का रंग फीका तथा श्वेत-प्रदर भी रहता है, जिनका चेहरा फीका मलिन या पीला पड़ जाता है, आंखों के पलक सूज जाते हैं, उनकी रक्तहीनता में यह औषधि उपयोगी है।

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