पेशाब में जलन और बूँद बूँद कर कष्ट से पेशाब निकलने की बीमारी का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Dysuria, Strangury ]

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यह बहुत ही पीड़ा पहुंचाने वाला रोग है। बार-बार मूत्र लगता है, किंतु बड़े कष्ट से बूंद-बूंद मूत्र होता है अथवा एकदम ही मूत्र नहीं आता और मूत्र-त्याग के समय मूत्राशय-प्रदेश में बहुत जलन और पीड़ा होती है। नए रोग में मूत्र स्वाभाविक या अस्वाभाविक हो सकता है। रोग पुराना हो जाने पर मूत्र के साथ पीब या श्लेष्मा निकला करता है। बच्चों के कृमि के कारण भी कभी-कभी मूत्राशय में उपदाह होता है। पथरी, जरायु का अपने स्थान से हटना, मूत्रग्रंथि एवं मूत्राशय-प्रदाह, गठिया-वात, हिस्टीरिया आदि के साथ मूत्रकृच्छ्रता हो जाती है।

स्पिरिट-कैम्फर — जलन और पीड़ा के साथ एकाएक मूत्रकृच्छ्रता होने पर 2 से 4 बूंद स्पिरिट-कैम्फेर बताशे में टपकाकर 10 से 15 मिनट के अंतर पर देनी चाहिए, इससे शीघ्र लाभ होगा।

बोरेक्स 3 — पौड़ा:के कारण बच्चों मूत्र-त्याग करने से डरता है और चिल्लाने लगता है। बच्चों में यह भीड़ां मूत्रनलीकेशोथ से हुआ करती है। कभी-कभी पथरी के कारण भी ऐसा हो जाता है।

एपिस 30 — मूत्र त्याग को रोगी रोक नहीं सकता और जब मूत्र-विसर्जन करता है, तो पीड़ा से चक्कर खा जाता है। बार-बार थोड़ा-थोड़ा मूत्र (पेशाब) करने पर अंतिम कतरा बेहद जलन करता है, डंक मारने की सी पीड़ा होती है, तब इस औषधि से लाभ होता है। . .

क्लेमेटिस 3, 30 — रुक-रुक कर मूत्र आता है, आते-आते एकदम रुक जाता है, पुनः आने लगता है; मूत्र-विसर्जन के पश्चात फिर बूंद-बूंद टपका करता है, सारा मूत्र एक बार में नहीं निकलता। यंह औषधि प्रायः गोनोरिया (सूजाक में उक्त लक्षण होने पर दी जाती है।

कोपेवा 3 — मूत्र करते समय जलन सहित दर्द, बूंद-बूंद मूत्र का आना, मूत्रनली के अग्रभाग का सूज जाना, मूत्र की हाजत को हर समय बने रहना पर मूत्र न आना आदि लक्षण इसमें पाए जाते हैं, मुख्य रूप से इसे स्त्रियों के मूत्र-कष्ट में अधिक उपयोगी माना गया है।

टेरिबिंथिना 3 — मूत्र में रक्त का अंश हो, मूत्र बूंद-बूंद कर आए, जलन हो और मूत्र कष्ट से आता हो। इस औषधि की मूत्र-कृच्छ्रता में कमर का दर्द साथ रहता है।

कैन्थरिस 6, 30 — मूत्र-त्याग के समय असह्य मरोड़ तथा काटता हुआ-सा दर्द, ज्यों-ज्यों मूत्र निकलता है, तब ऐसा प्रतीत होता है मानो गरम सीसा मूत्रमार्ग से बह रहा है, बहुत अधिक जलन होती है। मूत्र खुलकर नहीं आता, बूंद-बूंद टपकता है, तब यह औषधि देनी चाहिए।

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