हड्डी की सूजन का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Osteitis ]

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साइलीशिया 30 — खोपड़ी की हड्डी का बहुत अधिक बढ़ जाना इस औषधि का लक्षण है। रोगी को सिर से गरदन तक बहुत पसीना आता है, पसीने से बदबू आती है, पोषण-क्रिया के विकार के कारण ऐसा होता है। इसमें यह औषधि बहुत उपयोगी है।

मैग्नम 3, 30 — रोगी की हड्डियां बड़ी दुखनशील होती हैं, जोड़े सूजकर लाल हो जाते हैं, घुटने दर्द करते हैं, उनमें बेहद खुजली होती है। घुटने के नीचे की हड्डी में दर्द होता है; अस्थि-परिवेष्टन में शोथ के कारण हड्डियां दुखा करती हैं, सारा शरीर स्पर्श करने से दर्द करता है, क्योंकि सब हड्डियों में शोथ का संचार हो जाता है। हड्डियों में तथा जोड़ों में दर्द की वृद्धि रात को अधिक हो जाती है। इस रोग में यह औषधि बहुत उपयोगी है।

रूटा 6 — चोट लगकर शोथ हो जाने में यह उपयोगी है; ऐसी चोट आंख की पलक पर, सिर पर या किसी भी जगह लग सकती है। यदि अस्थि या उपास्थि पर चोट लगने के कारण सूजन हो जाने से दर्द हो; इसका हड्डियों के ऊपर की झिल्ली पर विशेष प्रभाव है।

सिम्फाइटम 8 — जब हड्डी टूट जाने से वहां शोथ हो जाने के कारण वह जुड़ न पा रही हों, जिस जगह अस्थि-भंग हुआ है, उसके कोनों पर चुभन हो, तब यह औषधि बहुत लाभ करती है।

कोनचियोलीन 3 — शरीर की बेलन की तरह गोल-अस्थियों के किनारों के शोथ में उपयोगी है।

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