कमर का दर्द का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Treatment For Lumbago, Backache ]

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एलूमिना 30, 200 — कमर-दर्द का रोगी चलने में लड़खड़ाता है। उसे सब कुछ घूमता नजर आता है। टांगों और पीठ में चींटियों के चलने का-सा अनुभव होता है। बैठे रहने से नितंब सुन्न हो जाते हैं, चलते हुए पैर के तलुवे सुन्न हो जाते हैं, चेहरा सफेद हो जाता है। उसे यों प्रतीत होता है, जैसे किसी ने रीढ़ में गरम लोहा धंसा दिया है, इन लक्षणों में इस औषधि से लाभ होता है।

साइलीशिया 30, 200 — पीठ ऐसे दर्द करती है, जैसे उसे खूब पीटा गया है। रोगी की रीढ़ की सबसे निचली हड्डी में तेज दर्द होता है, चलने में टांगें कांपती हैं, ऐसे में यह औषधि दें।

कैलि बाईक्रोम 3x — नितंब-प्रदेश में विशेषकर रीढ़ की अंतिम हड्डी गुदास्थि तथा त्रिकास्थि में दर्द जो ऊपर-नीचे जाए; रोगी चल नहीं सकता। दर्द एक जगह से दूसरी जगह फिरा करता है।

आर्निका 30 — गिर जाने के कारण रीढ़ की हड्डी के अंतिम भाग में चोट लगे, तब दें।

क्सैन्थोक्साइलम 6 — नाभि से दर्द उठकर पीठ के नीचे के हिस्से तक हो, शियाटिका हो, शरीर के बाएं हिस्से में सुन्नपन; गुदास्थि बढ़ी हुई अनुभव होती है, जरा से छूने से दर्द होता है, बैठते हुए रोगी को गद्दी रखकर बैठना पड़ता है, इसमें यह औषधि लाभकारी है।

हाईपेरिकम 6 — यदि सीधा गुदास्थि पर ही किसी तरह गिरने, मारने से चोट लगे, तब इसे दें। त्रिकास्थि की चोट में भी यह उपकारी है। स्नायुओं पर इसका विशेष प्रभाव है। यदि उंगलियां कुचली जाएं, नाखूनों पर चोट लगे, जबड़ा खुल न सके, तब भी यह औषधि उपयोगी है।

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