Markatasan, Supta Udarakarshanasana Method and Benefits In Hindi

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मर्कटासन/सुप्त उदराकर्षणासन

पहला विधि

पीठ के बल आसन पर लेट जाएँ। हाथों को कंधों के समानांतर फैलाएँ और हथेली आकाश की तरफ़ खुली अवस्था में रखें। दोनों पैरों को मोड़कर नितंब के पास ले आएँ एवं दोनों पैरों के बीच लगभग डेढ़ फ़िट का अंतर रखें। अब दाईं तरफ़ घुटनों को झुकाते हुए ज़मीन से स्पर्श करा दें। इस स्थिति में दायाँ पैर ज़मीन से स्पर्श करेगा एवं बायाँ घुटना भी दाएँ पैर के पंजे के पास ज़मीन पर स्पर्श करेगा। गर्दन को बाईं तरफ़ मोड़कर रखें। यही क्रिया बाईं तरफ़ पैर मोड़कर करें।

दूसरा विधि

पीठ के बल आसन पर लेट जाएँ। हाथों की स्थिति पूर्ववत् ही रहेगी। दोनों पैरों को मोड़कर नितंब के पास रखें। दोनों घुटने आपस में सटाकर रखें। अब घुटनों को दाईं ओर झुकाते हुए ज़मीन से स्पर्श करा दें। बायाँ घुटना दाएँ घुटने के ठीक ऊपर होगा और दाएँ पैर के पंजे के ऊपर बाएँ पैर का पंजा होगा। गर्दन बाईं तरफ़ घुमाकर रखें। अब यही क्रिया पूर्ण करने के लिए बाईं तरफ़ पैरों को झुकाएँ व गर्दन दाईं तरफ़ करें।

तीसरा विधि

पीठ के बल आसन पर लेट जाएँ। हाथों को कंधों के समानांतर फैलाएँ। अब दाएँ पैर को नितंब से उठाकर मोड़ते हुए समकोण की स्थिति निर्मित करें (चित्र देखें) और बाएँ हाथ से दाएँ पैर के अँगूठे को पकड़े। गर्दन दाईं तरफ़ मोड़कर रखें। अब यही आसन विपरीत दिशा में करें।

लाभ

  • स्लिप डिस्क, कमर दर्द, सायटिका, सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस वाले रोगियों को अतिशीघ्र लाभ पहुँचता है।
  • पेट नरम करता है अर्थात् क़ब्ज़ व गैस दूर करता है।
  • मेरुदण्ड को विशेष लाभ मिलता है।
  • नितंब प्रदेश को भी लाभ प्राप्त होता है।
  • पेट पर जमी चर्बी को दूर करता है। थोड़ा तेज़ गति से करने पर कमर पतली कर शरीर को छरहरा बनाता है।
  • स्फूर्ति प्रदान करता है।

नोट: कुछ योग शिक्षक इसे कटि मर्दनासन भी कहते हैं।

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