Supta Pavanamuktasana Method and Benefits In Hindi

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सुप्त पवनमुक्तासन

पहला विधि

शवासन की स्थिति में लेट जाएँ। अब दाएँ पैर को मोड़कर जाँघ को सीने की तरफ़ लाएँ। तदोपरांत दोनों हाथों के पंजों को आपस में फँसाकर घुटनों पर रखें। श्वास बाहर निकालें और हाथों से दबाव डालते हुए जाँघ को सीने से चिपकाने की कोशिश करते हुए सिर को ऊपर उठाकर नाक से घुटने का स्पर्श करें। कुछ देर इसी स्थिति में रहें। शवासन की स्थिति में आ जाएँ। श्वास एवं आसन के प्रति सजग रहें। इस प्रकार 3-5 बार करें और यही क्रिया पैर बदलकर करें।

दूसरा विधि

शवासन की स्थिति में लेट जाएँ। अब दोनों पैरों को मोड़कर जाँघों को सीने से लगाने का प्रयास करें। इसके बाद दोनों हाथों से आलिंगन की भाँति घुटनों को लपेट लें। श्वास बाहर निकालें। अब हाथों से दबाव बनाते हुए जाँघों को सीने से चिपकाएँ और सिर को उठाते हुए नाक से घुटनों का स्पर्श करें। कुछ देर रुकें, वापस मूल अवस्था में आएँ। 8 से 10 बार यही क्रिया दोहराएँ। इसे पूर्ण पवनमुक्तासन भी कहते हैं।

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