Sankhyasana Method and Benefits In Hindi
सांख्यासन
विशेष: इसको दो प्रकार से कर सकते हैं
विधि
- कागासन में बैठ जाएँ। अब दाहिने पैर को उठाकर दोनों हाथों की सहायता से दाहिने कंधे के पीछे क्रमशः ले जाएँ व बाएँ पैर के पंजे पर पूरा संतुलन स्थापित करें। हाथों को नमस्कार की मुद्रा में बनाएँ। यथाशक्ति बैठने की कोशिश करें।
- दोनों पैर सामने की तरफ़ फैलाकर बैठ जाएँ और हाथों की सहायता से दाहिने पैर को उठाकर दाहिने कंधे के पीछे ले जाएँ और धीरे-धीरे फैले हुए दूसरे पैर को खींचकर हाथों की सहायता से घुटने को मोड़कर पंजे को ज़मीन पर जमाकर बैठ जाएँ। (जब दाहिने पैर को कंधे पर रखते हैं तब बाएँ पैर को भी थोड़ा सा घुटने से मोड़ लेने पर आसन लगाने में सरलता होती है) हाथों से नमस्कार की मुद्रा बना लें।
उपरोक्त दोनों विधियों में पैर बदल कर भी क्रिया को दोहराएँ।
श्वासक्रम/समय: अंतिम स्थिति में सामान्य श्वास प्रश्वास करें। 5 से 10 सेकेण्ड करें।
लाभ
- पूरे शरीर में रक्त संचार की वृद्धि करता है।
- जीवन में भी संतुलन प्रदान करता है।
- उदर प्रदेश, मेरुदण्ड, एवं श्रोणी प्रदेश को लाभ।
सावधानियाँ: उच्च अभ्यास के आसन होने के कारण इसे धीरे-धीरे करना चाहिए। यदि नितम्बों व कमर में अधिक लोच लचक एवं मजबूत हो तभी करें।
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