Vyaghrasana, Utthita Sirsasana Method and Benefits In Hindi

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व्याघ्रासन/उत्थित शीर्षासन

विधि

दोनों घुटनों के बल जमीन पर बैठ जाएँ। सामने दोनों हाथों की कोहनियाँ और हाथ के पंजे को जमीन पर रखें तथा शरीर का पूरा वजन हाथों पर देते हुए पूरे शरीर को शीर्षासन की तरह करें परन्तु पूरा भार हाथों पर ही रखें। सिर को उठाकर सामने देखने की कोशिश करें एवं पीठ को मोड़ते हुए पैरों को उर्ध्व में स्थिर करें (चित्र देखें) ।
श्वासक्रम/समय: पैरों को उठाते समय अंतःकुम्भक करें अंतिम स्थिति मे श्वासक्रम धीमा करें और 10 से 20 सेकेण्ड तक क्षमतानुसार करें।

लाभ

  • रक्त संचार तीव्र करता है। झड़ते बालों को रोकता है। झुर्रियों का शमन कर चेहरे का तेज बढ़ाता है।
  • आँखों की रोशनी बढ़ती है।
  • वक्षःस्थल मजबूत होता है। फेफड़े पुष्ट होते हैं।
  • हाथ, कंधे, मेरुदण्ड एवं कमर में लोच-लचक तथा मजबूती आती हैं।

सावधानियाँ

  • इस आसन से उच्च रक्त चाप, हृदय रोग एवं मानसिक कमज़ोरी वाले परहेज करें।
  • उच्च अभ्यास का आसन होने के कारण योग शिक्षक का सहयोग प्राप्त करें।

नोट

  • व्याघ्रासन के प्रथम प्रकार का वर्णन पहले आ चुका है।
  • कुछ योग शिक्षक इस आसन को पिच्छ मयूरासन भी कहते हैं।

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