Vajrasana Method and Benefits In Hindi

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वज्रासन

शाब्दिक अर्थ: वज्र का अर्थ है ‘कठोर’। इस आसन से दृढ़ता आती है।

विधि

दोनों पैरों के घुटने मोड़कर इस प्रकार बैठे कि पैरों के तलवों के बीच नितंब एवं एड़ियों के बीच गुदाद्वार और गुप्तांग आ जाएँ। दोनों पादांगुष्ठ एक-दूसरे को परस्पर स्पर्श करते रहें। हाथों को घुटनों पर रखकर ज्ञान मुद्रा लगाकर बैठे या सामान्य स्थिति में रखें। याद रखें मेरुदण्ड, पीठ एवं गर्दन को एकदम सीधा रखना है, जिससे ज़्यादा लाभ प्राप्त हो।
विशेष: यह आसन सरल होते हुए भी कल्पवृक्ष के समान है।
श्वासक्रम: प्राणायाम भी कर सकते हैं। भोजनोपरांत क्रियात्मक समय दाहिने स्वर से श्वास लें।।
ध्यान: समस्त चक्रों पर। विशेषकर मणिपूरक चक्र पर।
मंत्र: अपने गुरु द्वारा दिए मंत्र या अपने इष्ट का ध्यान करें या “ॐ नमः सिद्धेभ्यः’ का मानस-जाप करें।

लाभ

वज्रासन का जो नित्य अभ्यास करेगा वह बुढ़ापे की अवस्था में भी वज्र के समान रहेगा। आत्मोत्थान् हेतु हितकारी है। सुषुम्ना का द्वार खोलता है। हर्निया और बवासीर में लाभदायक है। भोजन के तुरंत बाद इस आसन को 10-15 मिनट तक अवश्य करें। यह आसन वायु संबंधी रोग के लिए अति लाभप्रद है। उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ़ बैठकर ध्यान करने से यह आसन सुख देता है। स्त्रियों की मासिक अनियमितता को दूर कर उन्हें निरोग बनाता है। वायु-विकार से उत्पन्न सिरदर्द के लिए यह रामबाण है। क़ब्ज़, मंदाग्नि को ठीक करता है।
नोट: कुछ योग शिक्षक पैर के दोनों अँगूठों को एक के ऊपर एक रखकर यह आसन करवाते हैं।
सावधानी: घुटनों के दर्द से पीड़ित व्यक्ति इस आसन का अभ्यास न करें।

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