What Asana to do in a disease In Hindi

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Table of Contents

किस रोग में कौन सा आसन करें?

दमा, श्वास संबंधी रोग – (अस्थमा)

शीर्षासन समूह, सर्वांगासन, भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, वीरासन, उष्ट्रासन, पर्यंकासन, पश्चिमोत्तानासन, सुप्त वीरासन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम, उड्डियान बंध योग निद्रा।

उच्च रक्तचाप – (हाई ब्लड प्रेशर)

पद्मासन, पश्चिमोत्तानासन, सिद्धासन, पवनमुक्तासन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम (कुंभक न करें) , शीतकारी, शीतली, उज्जायी, योग निद्रा।। शांत भाव से बैठकर ईश्वर का ध्यान करें, एवं हमेशा बगैर तेल-मसाले के शाकाहारी भोजन ग्रहण करें।

निम्न रक्तचाप – (लो ब्लड प्रेशर)

सालंब शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन, कर्ण पीडासन, वीरासन, सूर्य नमस्कार, शशांकासन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम, भस्त्रिका, कपाल-भाति, सूर्य भेदन प्राणायाम तथा शवासन।

मधुमेह – (डायबिटीज़)

शीर्षासन एवं उसके समूह – सूर्य नमस्कार, सर्वांगासन, महा मुद्रा, पश्मिोत्तानासन, उष्ट्रासन, सुप्त वज्रासन, भुजंगासन, गौमुखासन, हलासन, अर्द्ध मत्यस्येन्द्रासन, शवासन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम (बिना अंतकुंभक के) ।

सिर दर्द

पद्मासन, शीर्षासन, हलासन, सर्वांगासन, पवनमुक्तासन, पश्चिमोत्तानासन, वज्रासन, मार्जारी आसन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम/अनुलोमविलोम प्राणायाम, योग निद्रा।

मिर्गी/अपस्मार

हलासन, महा मुद्रा, पश्चिमोत्तानासन, शशांकासन, भुजंगासन और बिना कुंभक के नाड़ी-शोधन प्राणायाम, अंतकुंभक के साथ उज्जायी प्राणायाम, शीतली प्राणायाम, शाकाहारी भोजन, ध्यान, योग निद्रा।

आधाशीशी – (माइग्रेन)

शीर्षासन, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासन, पद्मासन में ध्यान लगाएँ या सिद्धासन में ध्यान लगाएँ, वीरासन, शवासन, बिना कुंभक के नाड़ी-शोधन प्राणायाम, योग निद्रा।

सीना/छाती रोग

सूर्य नमस्कार, शीर्षासन, सर्वांगासन, भुजंगासन, धनुरासन, पद्मासन, आकर्ण धनुरासन, पश्चिमोत्तानासन, अर्द्ध मत्स्येन्द्रासन, बकासन, बद्धकोणासन, चक्रासन, कपोतासन, नटराजासन, पीछे झुककर किए जाने वाले आसन, उज्जायी तथा नाड़ी-शोधन प्राणायाम, योग निद्रा।

कमर दर्द

वे सभी आसन जिनकी क्रिया खड़े होकर पीछे की तरफ़ की जाती है एवं सुप्त वज्रासन, धनुरासन, भुजंगासन, अर्द्ध मत्स्येन्द्रासन, पर्वतासन, सर्वांगासन, शीर्षासन, चक्रासन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम।

मस्तिष्क एवं स्मरण शक्ति के विकास के लिए

शीर्षासन एवं उसका समूह, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासन, उत्तानासन, योग मुद्रासन, पादहस्तासन, पद्मासन में ध्यान या सिद्धासन में ध्यान, सामान्य त्राटक, शवासन, नाड़ी-शोधन प्राणायाम, सूर्य भेदन एवं भस्त्रिका प्राणायाम, योगनिद्रा।

पेट दर्द/उदरशूल

शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन, उत्तानासन, वीरासन, सुप्त वीरासन, वज्रासन एवं नौकासन, (नाभि सरकी हो तो नाभि ठीक करने वाले आसन करें)

गुर्दा रोग

सूर्य नमस्कार, सर्वांगासन, शीर्षासन एवं उसका समूह, हलासन, पश्चिमोत्तानासन, उष्ट्रासन, शलभासन, धनुरासन, अर्द्ध नौकासन, मत्स्येन्द्रासन, भुजंगासन, हनुमानासन, कपोतासन।

नपुंसकता दूर करने व काम-शक्ति यथावत् रखने के लिए

शीर्षासन एवं उसके समूह, सर्वांगासन, उत्तानासन, पश्मिोत्तानासन,महा मुद्रासन, अर्द्ध मत्स्येन्द्रासन, हनुमानासन, कपाल-भाति, अनुलोम-विलोम, नाड़ी-शोधन प्राणायाम साथ में अंतकुंभक लगाएँ। उड्डियान बंध, वज्रोली मुद्रा एवं विपरीतकरणी मुद्रा।

आलस्य

शीर्षासन, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासन, उत्तानासन, बिना कुंभक के नाड़ी-शोधन प्राणायाम्।

दस्त

शीर्षासन और उसके समूह, सर्वांगासन, जानुशीर्षासन, बिना कुंभक के नाड़ी-शोधन प्राणायाम। नाभि की स्थिति देखें।

आँत का अल्सर

शीर्षासन एवं उससे सम्बंधित समूह, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासन, योग निद्रा, अर्द्ध मत्स्येन्द्रासन, उज्जायी एवं नाड़ी-शोधन प्राणायाम, अंतकुंभक के साथ उड्डियान बंध।

उदरस्थ अल्सर

वज्रासन, धनुरासन, चक्रासन, मयूरासन, नौकासन, पादहस्तासन, उत्तानासन, पादांगुष्ठासन, शलभासन।

हार्निया

शीर्षासन एवं उसका समूह, सर्वांगासन, आकर्ण धनुरासन।

अण्डकोष वृद्धि

शीर्षासन एवं उनका समूह, सर्वांगासन, हनुमानासन, समकोणासन, पश्चिमोत्तानासन, बद्ध कोणासन, योग मुद्रासन, ब्रह्मचर्यासन, वातयनासन, वज्रासन एवं गरुड़ासन।

हृदय में दर्द/विकार

शवासन, उज्जायी प्राणायाम बिना कुंभक के, योग निद्रा, सुखासन में ध्यान या शवासन में ध्यान बिना कुंभक के एवं नाड़ी-शोधन प्राणायाम।

पेट सम्बंधी रोग, जैसे – कोष्ठबद्धता/क़ब्ज़/गैस बनना/अजीर्ण मल निष्कासन में परेशानी/अम्लता एवं वात रोग/दुर्गंधित श्वास

शीर्षासन व उसका समूह, सर्वांगासन, नौकासन, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्येन्द्रासन, धनुरासन, भुजंगासन, मयूरासन, योग मुद्रासन, उत्तानासन, पद्मासन, खड़े रहकर करने वाले सभी आसन, वज्रासन, पवनमुक्तासन व इससे संबंधित आसन, त्रिकोणासन, महा मुद्रा, शलभासन, मत्स्यासन, अर्द्धचंद्रासन, शशांकासन, पादांगुष्ठासन एवं शंखप्रक्षालन वाले आसन। नाभि की स्थिति देखें।

संधिवात/जोड़ों का दर्द/वनज/मेरुदण्डीय/स्कंधास्थि/गठिया

शीर्षासन तथा उसका समूह, सर्वांगासन, पद्मासन, सिद्धासन, वीरासन, पर्यंकासन, गौमुखासन, उत्तानासन एवं पश्चिमोत्तानासन, पवनमुक्तासन समूह की क्रियाएँ।

दाँत/मसूढ़े/पायरिया/गंजापन/चेहरे की ताज़गी/झुर्रियाँ/सामान्य नेत्र विकार

शीर्षासन एवं उसका समूह, सर्वांगासन, हलासन, विपरीतकरणी मुद्रा, पश्चिमोत्तानासन, शलभासन, वज्रासन (सिर के बल किए जाने वाले सभी आसन) , भुजंगासन, सूर्य नमस्कार, सिंहासन एवं दृष्टि वर्धक यौगिक अभ्यासावली।

मोटापा दूर करने के लिए

ऊर्जाप्रदायक विशेष आसन एवं क्रियाएँ, सूर्य नमस्कार, शीर्षासन तथा उसका समूह, सर्वांगासन, हलासन, पवनमुक्तासन समूह की क्रियाएँ विपरीतकरणी मुद्रा एवं वे सभी आसन जो पेट सम्बंधित रोग व अजीर्णता के लिए हैं। आहार का विशेष ध्यान रखें।

फेफड़े, फुफ्फुस

शीर्षासन तथा उसका समूह, सर्वांगासन, पद्मासन, सूर्य नमस्कार, लोलासन, वीरासन, खड़े होकर किए जाने वाले आसन, चक्रासन, धनुरासन, अंतकुंभक के साथ सभी प्राणायाम।

स्लिप डिस्क/साइटिका/कमर, मेरुदण्ड व सर्वाइकल दर्द/स्पॉन्डिलाइटिस

खड़े रहने की क्रिया के और पीछे झुकने वाले आसन जैसे – भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, उत्तानपादासन, वज्रासन, सुप्त वज्रासन, गौमुखासन, ताड़ासन, उत्कटासन, मकरासन।

शरीर की लंबाई बढ़ाने के लिए

ताड़ासन, सूर्य नमस्कार, धनुरासन, हलासन, सर्वांगासन एवं पश्चिमोत्तानासन।

लकवा (पक्षाघात) पोलियो

शलभासन, धनुरासन, मकरासन, भुजंगासन, पद्मासन, सिद्धासन, कन्धासन, हलासन, सर्वांगासन, शवासन, उज्जायी तथा नाड़ी-शोधन प्राणायाम।
सबसे अच्छा यह है कि रोगी की स्थिति देखकर किसी डॉक्टर से सलाह लेकर योग क्रिया करवाई जाए। पोलियो अधिकतर जन्म से होता है और लकवा बाल्यावस्था या उसके बाद। रोग कितना पुराना है उस हिसाब से आयुर्वेदिक औषधियों के साथ योग क्रिया ज्यादा लाभकारी रहेंगी।

रक्त अल्पता या रक्त क्षय

शीर्षासन एवं उसका समूह, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासन, सूर्य नमस्कार, उज्जायी प्राणायाम, नाड़ीशोधन प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम।

बवासीर (अर्श, गुदा-विकार, भगंदर)

यदि क़ब्ज़ भी है तो उसका उपाय करें। तत्पश्चात् शीर्षासन एवं उसका समूह, सर्वांगासन, हलासन, विपरीतकरणी मुद्रा, मत्स्यासन, सिंहासन, शलभासन, धनुरासन, बिना कुंभक के उज्जायी, तथा नाड़ी-शोधन प्राणायाम।

खाँसी

शीर्षासन एवं उसका समूह, सर्वांगासन, उत्तानासन, जुकाम के साथ है तो सूर्य नमस्कार भी करें। पश्चिमोत्तानासन, अर्द्ध मत्स्येन्द्रासन एवं दमा रोग के भी आसन देखें।

अनिद्रा, चिंता, उन्माद, निराशा, मानसिक दुर्बलता

सूर्य नमस्कार एवं उसका समूह, सर्वांगासन, कूर्मासन, पश्चिमोत्तानासन, शशांकासन, योग मुद्रा, उत्तानासन बिना कुंभक के भस्त्रिका, नाड़ी-शोधन तथा सूर्य भेदन प्राणायाम साथ में भ्रामरी, मूच्र्छा, शीतली एवं शीतकारी प्राणायाम एवं योगनिद्रा अवश्य करें। योग द्वारा जीवन जीने की कला अवश्य पढ़ें। तथा उर्जाप्रदायक विशेष आसन एवं क्रियाएँ।

अनियमित ऋतुस्राव, मासिक धर्म व अण्डाशय एवं उससे संबंधित रोग

शीर्षासन, सर्वांगासन, भुजंगासन, वीरासन, वज्रासन, शशांकासन, मार्जारी आसन,योग निद्रा, नाड़ी-शोधन प्राणायाम, मूलबंध, उड्डियान बंध, विपरीतकरणी, वज्रोली मुद्रा, योनि मुद्रा एवं योग मुद्रासन।

पौरुष ग्रन्थि, मूत्र-दोष (पेशाब-विकृति)

शीर्षासन तथा उसका समूह, सर्वांगासन, हलासन, शलभासन, धनुरासन, उत्तानासन, नौकासन, सुप्तवज्रासन, बद्ध कोणासन, उड्डियान, नाड़ी-शोधन एवं उज्जायी प्राणायाम।

स्वप्नदोष

शीर्षासन से सम्बंधित आसन समूह, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासन, बद्ध कोणासन, मूलबंध, वज्रोली मुद्रा, योनि मुद्रा, नाड़ी-शोधन प्राणायाम (अच्छी सोच रखें) एवं रात्रि को शीतल जल से हाथ पैर धोकर सोयें एवं प्रभु ध्यान करें।

जननांग सम्बंधी दोष

सूर्य नमस्कार, वज्रासन, शशांकासन, उष्ट्रासन, ताड़ासन, उत्तानासन, त्रिकोणासन, योग मुद्रासन, चक्रासन, तोलांगुलासन, धनुरासन, मकरासन, वीरासन, धनुराकर्षणासन, ब्रह्मचर्यासन, मयूरासन एवं कपालभाति प्राणायाम।

गर्भावस्था

हल्के व्यायाम (यौगिक सूक्ष्म व्यायाम) पवनमुक्तासन संबंधी आसन एवं बिना कुंभक के प्राणायाम उचित प्रशिक्षक की देख-रेख में करें।

बाँझपन

शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन, पश्चिमोत्तानासन, पद्मासन या सिद्धासन, चक्रासन, गरुड़ासन, वातायनासन, सभी मुद्राएँ (वज्रोली मुद्रा, योनि मुद्रा) नाड़ी-शोधन प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम।

महिलाओं के लिए

अधिक मासिक स्राव के लिए बद्ध कोणासन, वीरासन, जानुशीर्षासन, पश्चिमोत्तानासन, उत्तानासन एवं पवनमुक्तासन समूह की क्रियाएँ करना चाहिए एवं महिलाएं रोग विशेष के लिए संबंधित अध्याय भी देखें।

निर्बल एवं कमज़ोर व्यक्तियों के लिए

प्रतिदिन प्रार्थना (भाव के साथ) एवं प्रार्थना को प्रयोगात्मक रूप से अपने जीवन में उतारें। प्राणायाम, अनुलोम विलोम कम से कम 10 से 15 मिनिट सुबह सूर्य उदय के आसपास, ध्यान योग, हल्के व्यायाम (रोग के अनुकूल) पद्मासन एवं मध्यम वर्ग के आसन। सम्पूर्ण स्वास्थ्य के टिप्स देंखे, किस महीने क्या खाये क्या न खाये अवश्य प्रयोग करें एवं गेंहू की ज्वारों का प्रयोग करें।

सौन्दर्य वृद्धि कारक आसन

ताड़ासन, व्रजासन पद्मासन, सूर्य नमस्कार, मत्स्यासन, त्रिकोणासन, मार्जारी आसन, उत्तान कूर्मासन, भुजगासन, चक्रासन, धनुरासन, पश्चिमोत्तानासन, गोमुखासन, तिर्यक भुजंगासन, मेरु वक्रासन, सर्वांगासन, हलासन, नौकासन, पवनमुक्तासन, मर्कटआसन, अनुलोम-विलोम प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, योगनिद्रा एवं ध्यान।

दुबलापन दूर करने के लिए

दुबलेपन का एक कारण वंशानुगत भी हो सकता है। दूसरा थायरॉइड, पिट्यूटरी ग्रंथि, एड्रीनल ग्लैंड्स के कार्यों में गड़बड़ी उत्पन्न होना, हॉर्मोन्स का असंतुलन, गलत खानपान एवं सबसे बड़ा कारण चिंता भी है।
आवश्यकता से अधिक भोजन शरीर के लिए फलदायक नहीं होता, बल्कि शरीर में दोष भी उत्पन्न करता है। भोजन को आदर दें एवं प्रसन्नतापूर्वक भोजन करें। सुयोग्य आहार लें। चिंता का त्याग कर सकारात्मक सोचें। प्रतिदिन ध्यान करें तथा दुबले व कमज़ोर व्यक्तियों के अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें। इस प्रकार की प्रार्थना आपके शरीर को सुगठित करेगी। प्रतिदिन योग व प्राणायाम अवश्य करें।

सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए

पुस्तक में दिए गए नियम एवं पवनमुक्तासन समूह के आसन शीर्षासन से सम्बंधित आसन सर्वांगासन, हलासन, विपरीतकरणी मुद्रा, पश्चिमोत्तानासन, धनुरासन, तिर्यक भुजंगासन, तिर्यक ताड़ासन, शलभासन, मार्जार आसन, मर्कट आसन, व्याघ्रासन (प्रथम प्रकार) , पद्मासन, योग मुद्रा, मूलबंध, नाड़ी-शोधन प्राणायाम, वज्रोली और योनि मुद्रा, महा मुद्रासन एवं कपालभाति व भस्त्रिका प्राणायाम।
नोट: समस्त योगाभ्यास की संख्या बहुत अधिक होने के कारण कई बार यह निर्णय ले पाना मुश्किल दिखता है कि कौन सा आसन करना चाहिए और कौन सा आसन नहीं करना चाहिए। यहाँ पर हमने सभी रोग/वर्ग के हिसाब से आसनों की सूची दी है। किसी योग्य शिक्षक की देख-रेख में, शरीर लोच के अनुसार, समय, रोगी और रोग की अनुकूलतानुसार, मौसम एवं अपने विवेक का प्रयोग करते हुए योगाभ्यास ध्यानपूर्वक करना चाहिए। कृपया सभी बातों का ध्यान रखें और रोगों की छुट्टी कर दें एवं आसन, प्राणायाम के साथ उनके लाभ व सावधानियों का अध्ययन अवश्य करें।

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