Yoni Mudra, Shanmukhi Mudra Method and Benefits In Hindi

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योनि मुद्रा/षण्मुखी मुद्रा

विधि

सुखासन में बैठ जाइए। दोनों हाथ अपने चेहरे पर इस प्रकार रखिए कि अँगूठे द्वारा कान के छिद्र, तर्जनियों द्वारा दोनों आँखें, मध्यमा द्वारा नासिका रंध्र और अनामिका व कनिष्ठा द्वारा होठ के ऊपर आसानी से रखते बन जाए। काकी मुद्रा द्वारा प्राण को खींचकर अपान वायु से मिला दें। शरीर के चक्रों का ध्यान करते हुए या हैं सः मंत्र द्वारा कुण्डलिनी शक्ति को जगाते हुए साधक अपनी उर्जा को सहस्रार में ले जाएँ। साधक अभ्यास के समय केवल यह धारणा करें कि वह भगवान शिव के साथ शक्तिमय होता हुआ आनंदमय विहार कर रहा है और वह स्वयं पूर्ण ब्रह्म हो गया है। इसे योनि मुद्रा कहा गया है।

लाभ

  • यह दुर्लभ मुद्रा है। इस मुद्रा के अभ्यास से साधक कई पापों से मुक्ति पाता है। (घेरण्ड संहिता)
  • शरीर में तेज, बल व वीर्य की वृद्धि होती है।
  • शरीर निरोगी होता है।
  • यह मुद्रा नया यौवन प्रदान करती है।
  • पूर्ण एकाग्रता से अभ्यास करने पर साधक को सूक्ष्म ध्वनियों का अनुभव मिलता है।

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