Tadagi Mudra Method and Benefits In Hindi
ताड़ागी मुद्रा
उदरंपश्चिमोत्तानं कृत्वा च ताड़ागाकृतिः।
ताड़ागी सा परा मुद्रा जरा मृत्यु विनाशनी॥ (घे.सं. 3/73)
अर्थ: पश्चिमोत्तानासन लगाकर बैठे और उदर को इस प्रकार फुलाएँ मानो पेट के भीतर पानी भरा हो; यही ताड़ागी मुद्रा है। इससे वृद्धावस्था और मृत्यु पर विजय प्राप्त करते हैं। पश्चिमोत्तानासन में बैठे। दोनों हाथों से पैर के पंजों को पकड़े, परंतु झुकें नहीं। अब श्वास अंदर लें और पेट को जितना फुला सकते हैं फुलाएँ। यथाशक्ति कुंभक करें। अंत में धीरे-धीरे रेचक करें। रेचक करते समय पेट को तालाब जैसा गहरा बना लें। कहीं-कहीं योगीजन कुंभक के समय वायु को तालाब में लहर की तरह चलायमान करते हैं।
लाभ
- उदर सम्बंधी सभी रोग नष्ट होते हैं।
- पेट लचीला होता है तथा पाचन तंत्र सुचारु होता है।
- वृद्धावस्था पर विजय पाई जा सकती है।
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