Anguli Mul Shakti Vikasak Kriya Method and Benefits In Hindi
अँगुली मूल शक्ति विकासक क्रिया
विधि
समावस्था में खड़े रहें। दोनों हाथों । की कलाई तक के हिस्से को कड़ा रखते हुए कन्धों को ज़मीन के सामने समानान्तर फैलाएँ। हथेली को ढीला छोड़े। करतल भाग ज़मीन की ओर रखें। श्वास सामान्य रखते हुए अंगुलियों को शक्ति के साथ 10-15 बार आगे-पीछे हिलाएँ।
लाभ
यह क्रिया को करने से कलाई, करपृष्ठ, करतल एवं अंगुलियाँ पुष्ट बनती हैं और उनका ठीक से विकास होता है। हथेलियाँ शक्तिशाली बनती हैं। इन क्रियाओं को करने से मनोनहा नाड़ियाँ प्रभावित होती हैं, जिनसे शरीर और मन एकाग्र होकर अध्यात्मिक उन्नति होती है। हाथों का कंपन ठीक होता है, जोड़ों का दर्द मिटता है, टंकण यन्त्र (कम्प्यूटर) पर कार्य करने वाले साधक लाभान्वित होते हैं।
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