पलकों में दाने पड़ जाने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Granular Lids ]

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कैलि बाईक्रोम 3x — यदि आंख की पलकों में दाने हो गए हों, तो 2 ग्रेन प्रति 6 घंटे के अंतर पर यह औषधि देनी चाहिए। कुछ ही सप्ताह में दाने समाप्त हो जाते हैं।

थूजा 12 — यह भी पलकों के दानों में लाभ करती है। औषधि-सेवन के साथ ही इसके लोशन से आंखें धोते रहना चाहिए। लोशन बनाने के लिए 1 औंस पानी में 5 बूंद मूल-अर्क (मदर-टिंक्चर) डालकर उसका लोशन तैयार कर लेना चाहिए। दोनों का प्रयोग साथ-साथ करनी चाहिए।

कैलेण्डुला लोशन — यदि आंखों में तेज औषधियां लगाई या डाली गई हों, तो अन्य सभी औषधियां बंद करके इस लोशन से आंखें धोते रहें। यह लोशन तैयार करने के लिए 1 औंस पानी में 5 बूंद कैलेण्डुला मूल-अर्क को डालकर लोशन बना लेना चाहिए।

कैल्केरिया कार्ब 30 — पलकें बंद रहें, लाल हो जाएं, सूज़ जाएं, उनमें दर्द हो; जलन हो और लगने वाला पानी निकले; आंख में सुई चुभने का-सा दर्द हो, रोशनी को आंखें सहन नहीं कर पाएं, तब यह औषधि अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती है।

पल्सेटिला 30 — यदि खुली वायु में आंख को राहत महसूस हो और गरम कमरे में या अग्नि के समक्ष बैठने से कष्ट और पीड़ हो, तब इसे दें।

गैफाइटिस 30 — आंख की दोनों पलकें जहां मिलती हैं, उस संधि-स्थल में त्वचा फटी-फटी जो जाए, तब उपयोगी है।

हिपर सल्फर 30 — यदि पलकें सूज जाएं, लाल हो जाएं, उनमें दाने हो जाएं, चुभने का-सा दर्द हो, पलकों को स्पर्श करने में पीड़ा होती हो, दर्द आंख से चलकर भौंहों तथा माथे तक जाए, प्रकाश सहन न हो, सर्दी के कारण या रात में दर्द बढ़ जाए, सिकाई करने से आराम मिले, इन लक्षणों में यह औषधि दी जानी चाहिए।

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