नेत्ररोग का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Eye Disease ]

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प्रायः आंख के रोगों की गणना पलकों से आरंभ होती है और आंख के गोलक के अंत में रेटिना पर जाकर समाप्त हो जाती है। बाहरी आंख (पलकों) के रोग निम्नलिखित हैं —

  1. पलकों पर अंजनहारी का होना
  2. पलकों का सूज जाना
  3. पलकों का अनावश्यक झपकना
  4. पलकों के बालों का आंख के भीतर मुड़ना
  5. बालों का बाहर की ओर मुड़ जाना
  6. पलकों के बालों का झड़ना
  7. पलकों की खुजली
  8. पलक का लटक पड़ना
  9. पलक की भीतरी श्लैष्मिक-झिल्ली का शोथ
  10. पलकों में रोहे

अंजनहारी, बिलनी, गुहेरी (Stye, Hordeolum)

प्रायः सभी आंखों के रोगों में रोगी को बहुत कष्ट होता है। अंजनहारी (गुहेरी) निकलने पर रोगी को बहुत पीड़ा होती है, क्योंकि अंजनीहारी पलकों के किनारों पर निकलती है, इसलिए पलक खोलते और बंद करते समय अधिक पीड़ा होना स्वाभाविक है। अंजनहारी भी एक प्रकार का शोथ है जो व्रण के रूप में पलकों पर उत्पन्न होता है।

कुछ स्त्री-पुरुषों के जल्दी-जल्दी बहुत अधिक अंजनहारी (गुहेरी) निकलती हैं। चिकित्सकों के अनुसार इसकी उत्पत्ति गंदगी से होती है। कुछ लोग प्रतिदिन आंखों को अच्छी तरह साफ नहीं करते। रात्रि में भी बिना आंखें धोए सो जाने से दिन-भर की धूल-मिट्टी भीतर रह कर आंखों को हानि पहुंचाती है।

धूप और अधिक सर्दी, उष्ण, खट्टे-मीठे, तेज मिर्च-मसालों एवं अधिक तेल-धी के खाद्य-पदार्थ अधिक सेवन करने से आंखों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। आंखों की गंदगी अंजनहारी या आई-फ्लू के रूप में उभरती है। दूषित पानी से आंखें धोने या गंदे हाथों के स्पर्श से भी अंजनहारी की उत्पत्ति हो जाती है।

सर्वप्रथम पल्सेटिला 200 दें, विशेषकर ऊपर की पलक पर अंजनहारी हो तो; यदि इससे ठीक न हो, तो स्टैफिसैग्रिया 30 दें। बार-बार अंज़नहारी (गुहेरी) निकलने पर स्टैफिसैग्रिया देना ठीक रहता है। कई होम्योपैथ चिकित्सकों का अनुभव है कि पल्सेटिला की जगह स्टैफिसैग्रिया का ही प्रयोग करने से शिकायत जाती रहती है, चाहे निचली पलक पर अंजनहारी हो या ऊपरी पलक पर, चाहे तरुण रोग हो, चाहे जीर्ण रोग हो। यदि इससे भी लाभ दिखाई न दे और रोगी में अंजनहारी निकलने की प्रवृत्ति हो जाए, तो हिपर सल्फर 200 देनी चाहिए।

पलकों का सूजना (Swollen Eyelids)

नीचे की पलक के पानी की थैली की तरह सूज जाने पर एपिस 30 और ऊपर की पलक के सूजने पर कैलि कार्ब 30 या 200 देनी चाहिए। किसी एक से लाभ अवश्य ही होगा।

पलकों का झपकना (Blinking, Eyelid Twitching)

आंख को लगातार झपकते रहने में युफ्रेशिया 3 या 6 देनी चाहिए। खूब हृष्ट-पुष्ट व्यक्ति को यह रोग हो, तो बेलाडोना 30 दें। स्नायविक दुर्बलता के कारण ऐसा हो. चेहरे की मांस-पेशी बहुत झटके के साथ झपकती हो, तो लाइकोपोडियम 30 दें। पढ़ने के बाद की थकावट के कारण ऐसा हो, तो कैल्केरिया कर्ब 30 देना बहुत अच्छा रहता है।

बालों का पलकों के अंदर मुड़ना (Entropium)

इस रोग में सर्वप्रथम बोरेक्स 30 हरेक 4 घंटे के अंतर से दें। यदि इससे लाभ होता दिखाई न दे, तो पल्सेटिला 30 देने का उपक्रम करना चाहिए। इसके साथ ही युफ्रेशिया लोशन से दिन भर में 3-4 बार आंख को धोते रहें। इसके मूल-अर्क की 10 बूंदें 1 औंस पानी में डालकर लोशन तैयार कर लें।

पलकों का बाहर की ओर मुड़ना (Ectropion)

इस रोग के शमन के लिए बोरेक्स 30 या पल्सेटिला 30 देनी चाहिए। इसमें ठीक वो ही औषधियां प्रयुक्त की जाती हैं, जो “बालों का पलकों के अंदर मुड़ना” में बतलाई गई हैं। यदि इनसे कोई लाभ न हो, तो बेलाडोना 30 देकर देखनी चाहिए।

पलकों के बालों का झड़ना (Falling of Eyebrows and Lashes, Madarosis)

भौंह तथा बालों के झड़ने में सबसे पहले कैलि कार्ब 30 देनी चाहिए। यदि इससे कोई लाभ होता दिखलाई न दे, तो ऐनेनथेरम 3 दें। यदि भौंह के न झड़कर केवल पलकों के बाल झड़ते हों, तो रस-टॉक्स 30 का प्रयोग करें। किसी भी औषधि को प्रभाव केवल 4-6 दिन ही देखें।

पलकों में खुजली (Itching in Eyelids)

यदि पलकों के कोनों में खुजली होती हो, तो पहले मेजेरियम 6 या 30 देकर देखें। इससे लाभ न होने पर पल्सेटिला 30 दें। इससे लाभ होने की संभावना अधिक है। पलकों के किनारों की खुजली में स्टैफिसैग्रिया 30 से भी लाभ हो जाता है। पलकों की पेशियों की खुजलाहट में पाइलोकारपस 3 भी अत्यधिक उपयोगी मानी जाती है। इसे अंत में देकर देखें।

पलकों का लटकना (Ptosis of the eyelids)

यह आंख के ऊपर की पलक का पक्षाघात है। इस रोग की सर्वाधिक प्रमुख औषधि जेलसिमियम 30 है। यदि गठिया के रोगी को यह रोग हुआ हो, तो रस-टॉक्स 30 देनी चाहिए। यदि किसी स्त्री के ऋतु-धर्म की अनियमितता से यह रोग हुआ है, जिस कारण माथे में धीमा-धीमा दर्द भी हो, तो सीपिया 200 देनी चाहिए। पक्षाघात के लक्षणों में कॉस्टिकम 30 उपयोगी है।

श्लैष्मिक झिल्ली का शोथ (Conjunctivitis)

पलक की भीतरी श्लैष्मिक-झिल्ली के शोथ में युफ्रेशिया 6 का विशेष प्रभाव है। यदि सूजन अधिक हो, तो एकोनाइट 30 देने से लाभ होता है। अधिक सूजन के कारण पलक का भीतरी हिस्सा लाल हो जाता है, आंख से पानी गिरता है, तो एपिस 30 देनी चाहिए। श्लैष्मिक-झिल्ली का शोथ हो जाने पर बेलाडोना 30 भी अच्छा काम करती है। इसे देकर देखें।

पलकों में रोहे या कुकरे (Trachoma)

यदि पलकों में रोहे हो गए हों, तो अर्जेन्टम नाइट्रिकम 3, 30 इसमें लाभ करती है। यदि 4-5 दिन में कोई लाभ दिखाई न दे, तो आर्सेनिक 30 देकर देखें। इससे लाभ हो जाए, तो ठीक अन्यथा इसे बदलकर सल्फर 30 दें। इससे निश्चित ही लाभ होगा।

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