Jangha Shakti Vikasak Kriya Method and Benefits In Hindi

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जंघा शक्ति विकासक क्रिया

प्रथम विधि

  • समावस्था में खड़े रहें। श्वास को अन्दर खींचते हुए कूदकर दोनों पैरों को बाजू में फेकें। दोनों हाथों को कन्धे के बाजू से सिर के ऊपर ले जाएँ। श्वास छोड़कर दोनों पैरों को हाथों के साथ कूदकर पूर्व स्थिति में लाएँ। यह क्रिया 10 बार करें।
  • श्वास को छोड़कर कूदते हुए दोनों पैरों को जंघा के बाजू में फेकें। दोनों हाथों को कन्धों के बाजू से सिर के ऊपर ले जाएँ। हथेली बाहर की ओर रखें। श्वास को छोड़कर कूदते हुए हाथ और पैर को पूर्व स्थिति में ले आएँ। इस क्रिया को 10 बार करें।

द्वितीय विधि

  • समावस्था में खड़े रहें। दोनों हाथों को ज़मीन से समानान्तर कन्धों के सामने फैलाएँ। हथेलियाँ ज़मीन की ओर रखें। श्वास खींचकर (खींचते हुए) दोनों घुटने मिलाकर कुर्सी के समान बैठे। श्वास को छोड़कर पूर्व स्थिति में खड़े हो जाएँ। यह क्रिया तीन बार करें।
  • दोनों हाथों को कंधों के बाजू में ज़मीन के समानान्तर फैलाएँ। श्वास को खींचकर पंजों पर खड़े होते हुए घुटने फैलाकर कुर्सीनुमा नीचे बैठे। श्वास छोड़कर पूर्व स्थिति में आ जाएँ। यह क्रिया तीन बार करें।

उपरोक्त क्रियाओं के लाभ

जंघाएँ शक्तिशाली, सुन्दर, सुडौल बनती हैं। घुटनों का दर्द मिटता है।

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