Manibandh Shakti Vikasak Kriya Method and Benefits In Hindi
मणिबंध शक्ति विकासक क्रिया
विधि
समावस्था में खड़े रहें।
- अँगूठा छिपाकर मुट्ठियाँ बन्द करें, दोनों हाथ को कन्धे के सामने ज़मीन से समानान्तर फैलाएँ, हाथों में कन्धों के बराबर अन्तर रखें, करतल भाग नीचे की ओर रखें, श्वास को खींचते हुए कलाई को ताकत के साथ धीरे-धीरे नीचे से ऊपर ले जाएँ, श्वास छोड़कर कलाई को ऊपर से नीचे की ओर लाएँ, विधि को पांच बार दोहराएँ।
- कोहनी से हाथ को मोड़कर सीने के सामने ज़मीन के समानांतर फैलाएँ। अँगूठा छिपाकर मुठ्ठियाँ बन्द करें, शेष क्रिया भाग-क के समान ही रहेगी।
लाभ
यह क्रिया के करने से कलाई, करपृष्ठ, करतल एवं अँगुलियाँ पुष्ठ बनती हैं और उनके विकास ठीक होते हैं। हथेलियाँ शक्तिशाली बनती हैं इन क्रियाओं के करने से मनोनहा नाड़ियाँ प्रभावित होती हैं। जिनसे शरीर और मन एकाग्र होकर अध्यात्मिक उन्नति होती है, हाथों का कंपन ठीक होता है, जोड़ों का दर्द मिटता है, टंकण यन्त्र पर कार्य करने वाले साधक लाभान्वित होते हैं।
Comments are closed.