Uttan Padasana Method and Benefits In Hindi
उत्तानपादासन
विशेष: यह आसन ध्रुव के पिता उत्तानपाद को समर्पित है।
पीठ के बल ज़मीन पर लेट जाएँ। दोनों हाथों को कमर के अगल-बगल में रखें। हथेलियाँ ज़मीन पर स्थिर करें। श्वास लें और हाथों पर हल्का दबाव देते हुए दोनों पैरों को एक साथ ज़मीन से लगभग 60° के कोण पर उठाएँ। दोनों पैर एक साथ मिले हुए हों व पंजे सामने की तरफ़ तने हुए हों। एक से 2 मिनिट इसी अवस्था में रुकें, मूल अवस्था में वापस आएँ। श्वास प्र क्रिया सामान्य रखें।
श्वासक्रम/समय: पैरों को ऊपर उठाते समय श्वास रोकें एवं नीचे आते समय श्वास छोड़े। ऐसा 3 से 5 बार करें।
सावधानियाँ: कमर या रीढ़ आदि में किसी प्रकार का तेज दर्द हो तो न करें।
लाभ
- अपने स्थान से हटी हुई नाभि को ठीक करता है।
- पेट की चर्बी कम करता है।
- क़ब्ज़ के लिए रामबाण है। पीठ, कमर एवं पेट की माँसपेशियों को सुदृढ़ता प्रदान करता है।
- वायु विकार का शमन करता है।
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