Bhujabandh Shakti Vikasak Kriya Method and Benefits In Hindi

749

भुजबंध शक्ति विकासक क्रिया

विधि

समावस्था में खड़े रहें। अँगूठा छिपाकर मुट्ठी बन्द करें। कोहिनी से हाथ को मोड़कर कोहनी तक का हिस्सा ज़मीन के समानांतर रखें। श्वास खींचकर हाथ को कन्धों के सामने लाएं मुटठी का पृष्ठ भाग सामने रखें श्वास छोड़कर हाथों को पूर्व स्थिति में लाएँ। क्रिया को 5 से 10 बार दोहराएँ।

लाभ

भुजाओं व कन्धों का दर्द मिटता है। भुजबंध पुष्ट बनते हैं। भुजाएँ स्थूल बनती हैं। आरक्षक व सैनिकों के लिए लाभकारी है।

Comments are closed.