Bhujbal Shakti Vikasak Kriya Method and Benefits In Hindi

904

भुजबल्लि शक्ति विकासक क्रिया

विधि

समावस्था में खड़े रहें।

  • श्वास लेते हुए बाएँ हाथ को बाजू से कन्धे के ऊपर ले जाएँ, भुजबंध को कान से स्पर्श कराएँ। हथेली बाहर की ओर रखें, श्वास छोड़ते हुए पूर्व स्थिति में लाएँ, क्रिया 10 बार करें।
  • श्वास खींचकर दाएँ हाथ को बाजू से कन्धे के ऊपर ले जायें, भुजबंध कान से स्पर्श करें, हथेली का तल भाग बाहर की ओर रखें। श्वास छोड़कर पुनः पूर्व स्थिति में आ जाएं। क्रिया 10 बार करें।
  • श्वास लेते हुए दोनों हाथ को ऊपर की ओर ले जाएं। भुजबंध कान से स्पर्श करें। श्वास छोड़ते हुए पुनः पूर्व की स्थिति में आएँ। क्रिया 10 बार करें।

लाभ

  • भुजाएँ पुष्ट व बलशाली बनती हैं।
  • कोहनी से कलाई का हिस्सा संतुलित होकर उसके दर्द मिटते हैं।
  • भुजबल्लियाँ शक्तिशाली बनकर कार्य करने की क्षमता बढ़ाती हैं।

Comments are closed.