Yoga for Kids In Hindi
बच्चों के लिए योग
चाहे बच्चों के शारीरिक विकास की बात हो या मानसिक क्षमता को विकसित करने की बात, योग भी उनके जीवन के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना खेलकूद या अन्य गतिविधियाँ।
बच्चों के क्रमिक विकास के लिए योग को अनिवार्य कर देना चाहिए। बच्चे अपने शरीर में नियमित अभ्यास से लोचलचक पैदा कर उच्च अभ्यास को भी आसानी से कर सकते हैं। प्रतिदिन योगाभ्यास करने से शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से कार्य करने लगते हैं।
लगभग 8 वर्ष से लेकर 16 वर्ष की उम्र तक बच्चों का जीवन गीली मिट्टी की तरह होता है। जैसा बनाओ वैसे बन जाता है अतः बच्चों को अष्टांग योग में यम और नियम की भी शिक्षा देकर उनको संस्कारवान बनाकर उनके भविष्य में उज्ज्वलता लाई जा सकती हैं।
स्मरण शक्ति बढ़ाने, लंबाई बढ़ाने, दृष्टि दोष दूर करने जैसे शारीरिक एवं मानसिक आवश्यकताओं को पूरा करने का सबसे अच्छा माध्यम सम्पूर्ण योग शिक्षा ही है। इसलिए बच्चों को योग अपने जीवन में अवश्य अपनाना चाहिए।
हम यहाँ पर एक संक्षिप्त अभ्यासावली दे रहे हैं। सबसे पहले बच्चों को यौगिक सूक्ष्म व्यायाम, यौगिक स्थूल व्यायाम, पवनमुक्तासन समूह की क्रियाओं को एवं ऊर्जा प्रदायक विशेष आसन व क्रियाओं को लगभग 2 से 6 महीने तक सीखना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में स्फूर्ति, एक नई ताजगी व सुदृढ़ता आएगी एवं योग में रुचि बढ़ेगी।
क्रमशः हल्के फुल्के योग, अनुलोम-विलोम प्राणायाम, उज्जायी, भ्रामरी, उद्गीथ प्राणायाम एवं योग निद्रा के अभ्यास से वे अपने अंदर एक नया आत्म-विश्वास पैदा कर सकते हैं, जो बच्चों के भविष्य के लिए एक उपलब्धि से कम नहीं होगा। बच्चे अपनी अनुकूलतानुसार अपने लिए योग अभ्यास हेतु सारिणी तैयार करवा लें एवं नियमित अभ्यास करके इस कला को आत्मसात् करें।
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