Yoga Asanas Rules and Precautions In Hindi

349

योग-सावधानियाँ/नियम

योगाभ्यास शुरू करने से पहले साधकों को काफ़ी नियमों व सावधानियों का ध्यान रखना पड़ता है, अतः प्रत्येक साधक को निम्नलिखित बातों पर ध्यान अवश्य देना चाहिए। जैसे कि हम जब किसी मकान का निर्माण करते हैं, तो उसकी नींव पर विशेष ध्यान देकर उसको मज़बूत बनाते हैं ताकि उस पर खड़ी होने वाली इमारत बहुत दिनों तक स्थाई बनी रहे वैसे ही यदि हम योग क्रिया से संबंधित नियम व सावधानियों को अपने जीवन में उतारते हैं तो हमारे जीवन में होने वाली कई प्रकार की कठिनाईयों का हल अपने आप ही हो जाता है।

Yoga Practice Order
अभ्यास क्रम

  • किसी योग्य प्रशिक्षक की देख-रेख में ही योगासन एवं योग की क्रियाओं का अभ्यास करना चाहिए।
  • किसी भी योगासन को करें, परंतु मूल अवस्था में लौटते समय क्रिया का क्रम विपरीत ही होना चाहिए जैसा अंतिम अवस्था में पहुँचने के पहले था।
  • योगाभ्यास क्रमशः और क्रियात्मक रूप से करें तो ज्यादा लाभान्वित होंगे।
  • योगासन एवं समस्त क्रिया करते समय संपूर्ण ध्यान अभ्यास पर ही केंद्रित रखें।
  • योग क्रिया न ही किसी की देखा-देखी करें और न ही किसी को दिखाने का प्रयास करें।
  • योगाभ्यास स्व-अर्थ की क्रिया है, जैसा करेंगे वैसा लाभ मिलेगा।
  • योगाभ्यास की जो समय-सीमा और गति तय है। उसी अनुपात में करें, अन्यथा हानि की भी संभावना है।
  • यम नियम के पालन पर विशेष ध्यान दें।
  • कौन सा योगासन आपको करना है और कौन सा नहीं इसका निर्णय पुस्तक का संपूर्ण अध्ययन करने के बाद ही लें।
  • किसी भी आसन को एकदम से नहीं करना चाहिए। पहले हल्के व्यायाम, सूक्ष्म आसन, स्थूल आसन या पवनमुक्तासन से संबंधित आसनों को करें ताकि शरीर का कड़ापन समाप्त हो और शरीर नरम बने एवं मांसपेशियों में लचीलापन आए फिर (प्रारंभिक, मध्यम, उच्च अभ्यास) प्राणायाम एवं ध्यान का क्रम उपयुक्त रहता है।
  • किसी भी आसन को ज़बर्दस्ती न करें। क्रमशः अभ्यास से आसन स्वतः सरल हो जाता है।
  • योग की किसी भी क्रिया के अंत में शवासन करने का ध्यान अवश्य रखें। शवासन करने से अभ्यास क्रिया में आया हुआ किसी भी प्रकार का तनाव दूर होकर प्रसन्नता का एहसास होता है।
  • जैसे कोई आसन सामने की तरफ़ झुकने वाला है तो क्षणिक विश्राम के बाद पीछे की तरफ़ झुकने वाला आसन (अपनी अवस्था एवं रोग को देखते हुए विवेक का उपयोग अवश्य करें, ऐसा करने से किसी भी प्रकार की विकृति नहीं आती है।) करें।

Breathing
श्वास-प्रश्वास

  • किसी भी योग क्रिया को करते समय श्वास-प्रश्वास के प्रति सजगता बनाए रखें।
  • श्वास नासिका द्वार से ही भरें, मुख से नहीं।
  • प्रत्येक आसन का अपना एक श्वास-प्रश्वास का क्रम होता है। उसका अवश्य ध्यान रखें।

Diet
आहार

  • आसनों के अभ्यास से पहले मूत्राशय एवं आँतें रिक्त होना चाहिए।
  • यदि किसी को क़ब्ज़ की शिकायत हो तो वह पहले पुस्तक में दी हुई शंख-प्रक्षालन की क्रिया किसी गुरु की देख-रेख में करें या उनसे परामर्श लें, तत्पश्चात् अन्य । योगाभ्यास करें।
  • शरीर को फुर्तीला, चुस्त, सुंदर और चिरयुवा बनाने के लिए जितना महत्व हम योगासन को देते हैं, उतना ही महत्व हमें आहार को भी देना चाहिए।
  • बहुत ज्यादा खट्टा, तीखा, तामसी, बासा एवं देर से पचने वाला आहार नहीं लेना चाहिए। आज इस बात को वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं कि हमारा भोजन सात्विक, शाकाहारी, शुद्ध, ताज़ा एवं बिना जटिलता लिए हो।।
  • आसन करने से कुछ समय पहले एक ग्लास ठंडा एवं ताज़ा पानी पी सकते हैं यह सन्धि स्थलों का मल निकालने में अत्यंत सहायक होता है।
  • साधक को शराब, गाँजा, भाँग, तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट, आदि मादक पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • यदि किसी रोग से पीड़ित हों तो आसन एवं आहार की जानकारी किसी विशेषज्ञ से लें।
  • भोजन करने के आधे घंटे पहले एवं भोजन करने के कम से कम चार घंटे बाद ही योगाभ्यास क्रिया करें।
  • यदि ज्यादा क़ब्ज़ नहीं है तो योगाभ्यास से यह रोग (सामान्य पाचन विकार) दूर हो जाता है। वैसे भी शंख-प्रक्षालन वर्ष में कम से कम एक या दो बार अवश्य करना चाहिए।
  • तामसिक भोजन जैसे अंडा, मछली, मांस आदि का त्याग कर देना चाहिए क्योंकि जैसा खाओ अन्न, वैसा बने मन”।

The Bath
स्नान

आसन से पूर्व व आसन के कुछ समय बाद स्वच्छ एवं शीतल जल से स्नान करें (ऋतु एवं अवस्था अनुसार) ।

The Clothes
वस्त्र

  • आसन करते समय चुस्त कपड़े न पहनें। ढीले, आरामदायक, सूती एवं सुविधाजनक वस्त्रों का ही प्रयोग करें।
  • आसन के लिए कंबल या दरी का प्रयोग करें।
  • कंबल आदि का प्रयोग करने से अभ्यास के समय निर्मित विद्युत प्रवाह नष्ट नहीं होता।
  • पुरुष साधकों को कच्छा या लँगोट अवश्य पहनना चाहिए।

Time
समय

  • योगासनों का अभ्यास प्रातः सूर्योदय के समय अच्छा माना जाता है।
  • प्रातःकाल सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा हमें नई ताक़त देती है क्योंकि वह ऊर्जा जीवन को संचार प्रदान करने वाली होती है।
  • प्रातःकाल योग करने का कारण संभवतः व्यक्ति का तनाव मुक्त रहना भी है।
  • प्रत्येक आसन की समय सीमा अपने शरीर की परिस्थिति को भी देखकर करें।
  • प्रातःकाल व्यक्ति के पास समयाभाव भी नहीं रहता।
  • प्रातःकाल योग करने से व्यक्ति दिनभर तरोताज़ा और स्फूर्ति महसूस करता है। अतः वह दिनभर प्रसन्नचित्त हो प्रत्येक कार्य करता है। यदि किसी कारणवश धूप से आने के बाद योगाभ्यास करना हो तो कुछ देर विश्राम करें।
  • निश्चित समय और निश्चित स्थान पर अभ्यास अधिक प्रभावशाली हो जाता है।

Place
स्थान

  • अभ्यास के लिए स्थान साफ़-सुथरा, हवादार, शांत, मन को प्रसन्न करने वाला, अच्छा एवं प्रदूषण मुक्त वातारण होना चाहिए।
  • योगाभ्यास का स्थान समतल होना चाहिए।
  • यदि बन्द कमरे में योगाभ्यास कर रहे हों तो खिड़की एवं दरवाज़े खोल लें।

The Direction
दिशा

  • लेटकर किए जाने वाले आसनों में पैरों की दिशा उत्तर या पूर्व हो तो अति उत्तम रहती है।
  • खड़े होकर किए जाने वाले आसनों में मुख पूर्व की तरफ़ हो तो विशेष लाभ प्राप्त होता है।
  • प्रार्थना आदि करते समय उत्तर-पूर्व दिशा का चयन करें, तो अतिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ होता है।
  • दिशा का महत्व इसलिए भी है कि इससे हमारी चेतना ऊर्ध्वमुखी होती है एवं आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ-साथ कई लाभ स्वतः प्राप्त हो जाते हैं।

Vision
दृष्टि

  • प्रारंभ में नेत्र बंद न करें। अभ्यास हो जाने के बाद ही नेत्रों को बंद रखें, परंतु मन को निष्क्रिय और चंचल न होने दें।
  • नेत्र बंद (योग शिक्षक के आदेशानुसार) रहते हुए भी आसन क्रियाओं के प्रति मस्तिष्क को सजग रखें।

State/Age
अवस्था/आयु

  • योगासन के लिए आयु सीमा का कोई निर्धारण नहीं है तथापि व्यक्ति को अपनी उम्र, अवस्था, अभ्यास आदि समझकर विवेक का उपयोग करना चाहिए।

For The Patient
रोगी के लिए

  • योगासन से संबंधित क्रियाएँ तो होती ही हैं रोगों को दूर कर स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए परंतु रोगी उस आसन को न करें जिससे उनकी पीड़ा अथवा रोग की तीव्रता बढ़ती हो। जैसे – उच्च रक्तचाप के रोगी शीर्षासन या सर्वांगासन आदि न करें।
  • ‘किस रोग में कौन सा आसन करें अथवा कौन सा आसन न करें ?’ वह अध्याय अवश्य देखें। साथ ही, रोग की अवस्था में किसी योग्य शिक्षक के परामर्श के पश्चात् ही आसन करें।

Meditation
ध्यान

  • वह रोग जिसके लिए आप योग क्रियाएँ कर रहे हैं, अभ्यास करते समय उसका सकारात्मक चिंतन करें कि वह रोग ठीक हो रहा है।
  • अभ्यास काल में मन को चिंता, क्रोध घबराहट, घृणा, ईष्र्या, भय, अहंकार, प्रतिशोध की भावना आदि उद्वेगों से पूर्णतः मुक्त रखें।

Special Things to Remember During Yoga Practice
योग अभ्यास के दौरान विशेष बातें

  • योग की क्रियाएँ पूर्णतः विवेक का उपयोग करते हुए ही करें।
  • पूर्ण विश्वास, धैर्य और सकारात्मक विचार रखें।
  • मन में ईष्र्या, क्रोध, जलन, द्वेष एवं खिन्नता न रखें।
  • नशीले पदार्थों का सेवन एवं गंदी मानसिकता न रखें।
  • यदि किसी आसन के अभ्यास के दौरान परेशानी का अनुभव हो तो योग्य गुरू एवं विवेक का उपयोग करें।
  • गरिष्ठ भोजन, माँसाहार, अत्यधिक वासना एवं देर रात तक जागने जैसी आदतों का त्याग करें।

योग करने वाले साधकों को सभी सावधानियों एवं नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए, अन्यथा शरीर में कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो सकते हैं। जैसे हड्डी का खिसकना, जोड़ों में दर्द का बढ़ जाना, हृदय गति का कम या ज्यादा होना, नाभि का सरकना, क़ब्ज़ होना या दस्त लगना, माँसपेशियों में दर्द होना, श्वास गति का अनियंत्रित होना, थकान महसूस करना आदि। साथ ही कई प्रकार की शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक हानि होने की संभावना भी रहती है।

Comments are closed.