Uchcharan Sthal & Vishuddhi Chakra Shuddhi Method and Benefits In Hindi

1,162

उच्चारण स्थल व विशुद्धि चक्र-शुद्धि

विधि

समावस्था में खड़े हों। बायें हाथ की कनिष्ठिका अनामिका मध्यमा और तर्जनी चारों को गले पर स्थापित करें, करतल भाग अन्दर की ओर रखें दाहिने हाथ की तर्जनी को बायें पर उल्टा स्थापित करें, दोनों हाथों को कन्धों के सीध में रखें गर्दन को इसी अवस्था में रखते हुए हाथों को बाजू से पूर्व अवस्था में लावें। 25 बार सीने के बल श्वास प्रश्वास करें, क्रिया को समाप्त करें ध्यान विशुद्ध चक्र या कंठ पर केन्द्रित करें।

लाभ

  • कण्ठ की समस्त नाड़ियाँ जहाँ वात, पित्त, कफ की मात्राएँ एकत्रित हो जाती है इस क्रिया को करने से वे पेट में चली जाती है और शब्दों का उच्चारण स्पष्ट होने लगता है।
  • हकलाना और तुतलाना जैसे विकार ठीक होते है। कटु स्वर मधुर बनता है।
  • संगीतज्ञों के लिए विशेष लाभकारी है।
  • मस्तिष्क के विकार ठीक होते हैं।
  • विचार शक्ति की वृद्धि होती है।

Comments are closed.