Accupressure In Hindi

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एक्यूप्रेशर

विश्व में भारत देश ही एकमात्र ऐसा देश है जहाँ असंख्य प्रकार की विद्याओं का जन्म हुआ। किन्हीं कारणवश अनेक विद्याएँ लुप्तप्राय हैं, परंतु जो भी ज्ञान उपलब्ध है यदि उन्हीं का उपयोग क्रमबद्ध सही तरीके से किया जाए तो हम मृत्युपर्यंत निरोगी जीवन जी सकते हैं। उन्हीं में से एक है ‘एक्यूप्रेशर पद्धति। जिसका अर्थ है ‘दबाव’। भारत देश में एक्यूप्रेशर को प्राचीनकाल से किसी न किसी प्रकार से चिकित्सीय रूप में अपनाया जाता रहा है। एक्यूप्रेशर पद्धति द्वारा शरीर के निश्चित विशिष्ट स्थान पर उचित रूप से आवश्यकतानुसार दबाव डालकर उससे सम्बंधित रोग का निराकरण किया जाता है।
चूँकि हमारा शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है और यह शरीर एक विशेष प्रकार की ऊर्जा द्वारा संचालित होता है जिसे हम आत्मा, चेतना या जैव-विद्युत (जैव-शक्ति) के रूप में जानते हैं। यही ऊर्जा हमारे सम्पूर्ण शरीर में विद्यमान रहती है। हमारे हाथ व पैर के तलुवों में 7,200 स्नायु सिरे स्थित हैं। इन तलुवों में उठा दाब बिंदु प्रमुख है। हमारे शरीर में प्रवाहित होने वाले जैव विद्युत के स्विच बोर्ड इन्हीं हाथ और पैरों के तलुवों में स्थित है। एक्यूप्रेशर की मानें तो उसके अनुसार असंयमित जीवन जीने से हमारे शरीर में कई विजातीय तत्व जमा हो जाते हैं। जिस जगह पर यह विजातीय तत्व जमा होते हैं उससे सम्बंधित रोग उत्पन्न हो जाता है। हाथ व पैर के तलुवों में स्थित उससे सम्बंधित बिंदुओं में भी अपद्रव्य, अवरोध या क्रिस्टल जमा हो जाते हैं और रोग तेज़ी से बढ़ने लगते हैं। इनको दूर करने के लिए हथेली एवं तलुवों के उन रिफ्लैक्स बिंदुओं पर आवश्यकतानुसार दबाव डालकर उन अपद्रव्यों को दूर किया जाता है। जिस कारण रोग शनैः शनैः समाप्त हो जाते हैं।
डॉ. एफ़ एम. घेस्टन (एक्यूप्रेशर चिकित्सक) के अनुसार हमारे शरीर में जैव-विद्युत विद्यमान है। जब वह हाथ व पैर के तलुवों से लीक होने लगती है तो परिणाम स्वरूप उस बिंद से सम्बंधित अंग में कोई न कोई रोग होने लगता है। अतः जब हम इन बिंदुओं पर दबाव डालते हैं तो उस ऊर्जा का निकलना बंद हो जाता है। जिस कारण विद्युत शक्ति का प्रवाह उस अंग में सामान्य हो जाता है। और रोग ठीक होने लगते हैं।
यह पद्धति सीधी, सरल, कम समय, कम ख़र्च और विशुद्ध रूप से अहिंसक भी है। यह पूर्ण रूप से शरीर और मन को शांति प्रदान कर ऊर्जा को विकसित करने वाली है। स्थानाभाव के कारण हम यहाँ पर परिचय मात्र दे रहे हैं। अतः इस पद्धति का उपयोग करने वाले व्यक्ति इस चिकित्सा से सम्बंधित विशेषज्ञ से संपर्क स्थापित कर पूर्ण रूप से लाभ प्राप्त करें। हमने चित्र के साथ बिंदुओं तथा अंगों के नाम दिए हैं जिस पर उचित दबाव डालकर ठीक किया जा सके।

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