Surya Namaskar Method and Benefits In Hindi

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सूर्य नमस्कार

सूर्य नमस्कार फलश्रुति मंत्र

आदित्यस्य नमस्कारान्, ये कुर्वन्ति दिने दिने।
आयुः प्रज्ञा बलवीर्यं तेजस् तेषाम् च जायते॥

अर्थ: जो प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं, वे आयु, प्रज्ञा (अच्छी बुद्धि) , बल, वीर्य और तेज प्राप्त करते हैं।
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥

अर्थात् – हे आदिदेव भास्कर ! आपको प्रणाम है, आप मुझ पर प्रसन्न हों, हे दिवाकर! आपको नमस्कार है, हे प्रभाकर! आपको प्रणाम है।

Surya Namaskar Contemplation
सूर्य नमस्कार एक अनुचिंतन

सूर्य का महत्व समझाने के लिए हमारे धर्म ग्रंथों में अनादि काल से वर्णन होता आया है। आज भी सूर्य एक रहस्य है और क्रमशः खोज जारी है। परंतु एक बात पक्की है कि यह हमें प्राचीन समय से अपनी ओर आकर्षित करता आया है। हम पिछले युगों में जाएँ या आज के युग की बात करें, सूर्य हमें हमेशा जीवनदायिनी ऊर्जा देता आया है। सूर्य के बारे में जानने के लिए आज का वैज्ञानिक दिन-रात एक कर रहे हैं, जबकि हमारे ऋषि-मुनि इसकी दिव्यता और उसका उपयोग करना भी जानते थे। सूर्य मात्र हमारे शरीर को ही नहीं, हमारे सूक्ष्म शरीर को भी अपनी चैतन्य शक्ति से जीवंतता प्रदान करता है। वैज्ञानिक इसे आग का गोला कहें अथवा कोई ग्रह परंतु प्राचीन काल में ही इसके अनेक रहस्यों को हमारे मनीषियों ने समझ लिया था और उसका उपयोग करने की कला को जन-कल्याण तक पहुँचाया था परंतु अब सूर्य का ज्ञान लुप्तप्राय है। यहाँ पर हम थोड़ी सी चर्चा सूर्य के रहस्य को समझाने के लिए करना चाहते हैं, ताकि हम जब सूर्य नमस्कार करें तो हमारे मन में श्रद्धा, लगन और आस्था प्रकट हो और हम उससे लाभान्वित हो सकें।
पाठकगण शायद जानते हों कि बनारस में एक बहुत बड़े संत हुए हैं। जिनका नाम था स्वामी विशुद्धानंद परमहंस और उनके शिष्य थे काशी हिंदु विश्वविद्यालय के प्राचार्य गोपीनाथ कविराज। चूँकि कथानक काफ़ी विस्तृत है, अतः हम सिर्फ इतना बताना चाहेंगे कि उन्होंने हिमालय के किसी गुप्त आश्रम (ज्ञानगंज आश्रम) में जाकर 12 वर्ष की कठिन साधना की। इसके बाद सन् 1920 के आस-पास वापस बनारस आकर सूर्य विज्ञान का चमत्कार इस पूरे विश्व को बताकर आश्चर्यचकित कर दिया था। लोगों ने दाँतों तले अँगुलियाँ दबा लीं थीं। सैकड़ों शिष्यों के सामने वे सूर्य विज्ञान द्वारा एक वस्तु को दूसरी वस्तु में रूपांतरित कर दिया करते थे, जैसे कपास को वे फूल, पत्थर, ग्रेनाइट, हीरा, लकड़ी आदि कुछ भी बनाकर दिखा देते थे। यहाँ तक कि उन्होंने एक बार मृत चिड़िया को जीवित कर दिया था। यह आश्रम आज भी हिमालय में स्थित है। यह वृत्तांत लेखक पॉल बंटन की पुस्तक से लिया गया है। यह दृष्टांत बताने के पीछे हमारा उद्देश्य सूर्य के प्रति आपकी जिज्ञासा और आस्था बढ़ाने का है ताकि हम उस दिनकर से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें।
सूर्य नमस्कार की एक आवृत्ति में 12 स्थितियाँ हैं। प्रत्येक आसन का अपना एक मंत्र है। प्रत्येक क्रिया का अपना एक लाभ है। हम तो इतना कहेंगे कि नया जीवन चाहिए, तो सूर्य नमस्कार कीजिए।
प्रतिदिन नियम से किया जाने वाला सूर्य नमस्कार अन्य व्यायामों की अपेक्षा ज्यादा लाभकारी है। सूर्य देव का वर्णन हम जितना करें, कम है। अतः हम सूर्य देव को नमस्कार करने की पद्धति का वर्णन करेंगे।

Surya Namaskar Ancient History
सूर्य नमस्कार का प्राचीन इतिहास

सूर्य नमस्कार करने का मुख्य कारण संभवतया उसके द्वारा जीवनदायिनी ऊर्जा मिलना और उसके प्रति कृतज्ञता प्रकट करना रहा है। सूर्य में स्थापित अकृत्रिम प्रतिमा को या यूँ कहें कि सूर्यदेव को अर्घ्य समर्पित करने का प्रचलन आदिकाल से रहा है, जब इस भरत-भूमि के प्रथम चक्रवर्ती राजा भरत सूर्य में स्थित जिनालयों को नमस्कार किया करते थे। किन्हीं कारणों से इसका प्रचार-प्रसार अधिक नहीं हो पाया परंतु दक्षिण भारत के आचार्यों ने इसे आत्मसात् किया और इस विद्या को जीवंत रखा। जब वे शेष भारत के तीर्थों पर भ्रमण हेतु आते तो वहाँ भी नित्यकर्म में सूर्य नमस्कार करते थे। तीर्थ स्थानों की जनता उन्हें देखकर सूर्य नमस्कार की विधि का अनुसरण करती थी। इस प्रकार पुनः संपूर्ण भारत वर्ष में सूर्य नमस्कार का प्रचार-प्रसार हुआ।

Surya Namaskar Modern History
सूर्य नमस्कार का आधुनिक इतिहास

सूर्य नमस्कार की कई मुद्राएँ हैं किंतु पारड़ी जिला – सूरत (गुजरात) के वेदमूर्ति श्री श्रीपाद दामोदर सातवलेकर ने सर्व सुलभ बारह अंकों के सूर्य नमस्कार की विधि प्रचलित की, जिसका उपयोग संपूर्ण भारत में किया जाता है। शिवाजी महाराज को उनके गुरु समर्थ रामदास ने सूर्य नमस्कार की विधि सिखाई जिसका उन्होंने अभ्यास किया और परिणामस्वरूप उनका शरीर एवं चरित्र इतिहास में अद्वितीय है। शिवाजी महाराज ने अपने सैनिकों को सूर्य नमस्कार की विधि सिखाई और इस प्रकार सूर्य नमस्कार की विधि का प्रचार-प्रसार बढ़ा। ‘सूर्य नमस्कार के द्वादश आदर्श बीज मंत्र एवं क्रिया मंत्र होने के कारण बारह अंकों के सूर्य नमस्कार की वैज्ञानिकता बढ़ जाती है।

Surya Namaskar Another Method
सूर्य नमस्कार की एक अन्य विधि

सूर्य नमस्कार की हमारे देश में कई विधियाँ प्रचलित हैं। इसकी एक अन्य विधि का शासकीय योग प्रशिक्षण केंद्र के योग प्रशिक्षक श्री मंगलेश यादव ने पद्यानुवाद किया है, जिसे हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं:
समवस्था पूर्वाभिमुख मीलित नयन विशेष,
सूर्यदेव को नमत है अकिंचन ‘मंगलेश ।
मित्र, रवि, सूर, भानु, खग, पूष्ण हिंरण्यगर्भाय,
मारिंच, आदित्य, सवित्र, अर्क बृन्दी भास्कराय।
एक में हाथ और सिर पीछे, दो में सिर घुटनन लग जाय,
तीन में हो बायाँ पग पीछे, चार में क्रमशः ऊपर जाय।
पाँच में पवर्त आसन करके छः में देओ दण्ड लगाय,
सात में बायाँ पग हो आगे, आठ में क्रमशः ऊपर जाय।
नौ में पुनः बने पर्वत सा, दस में देओ दण्ड लगाय,
ग्यारह में उछलें फिर दो सा, बारह में एक सा हो जाय।

Surya Namaskar Benefit
सूर्य नमस्कार के लाभ

सूरज नमन से मिटत आधि और व्याधि,
शेर सी फुर्ती, शरीर में आय।
वीर शिवाजी की तरह बनोगे चरित्रवान,
कुण्ठा व कलुषता, तुरत भग जाय।
पीठ लोचदार, मुखमण्डल हो कांतिवान,
मंगल’ की भावना भुजाओं से आय।।
सूरज की किरणे मिटाती हैं अनेकों रोग,
तन की सुघरता स्वतः बढ़ जाय।
इसी प्रकार सूर्य नमस्कार की और भी कई विधियाँ विभिन्न आचार्यों ने बताई हैं परंतु हमने मुख्य रूप से प्रचलित विधियों का ही वर्णन किया है।

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